कंगना का कद आसमान से ऊॅंचा कर दिया सरकार ने- जमींदोज दफ्तर कब्र न बन जाये शिवसेना की

New Delhi : सुशांत प्रकरण में मुखर कंगना रनौत का पेंग्विन कमेंट और फिर बॉलीवुड के मूवी माफिया, नेपो किड‍्स को लेकर आक्रामक रुख आज 9 सितंबर को अपने आखिरी मुकाम पर पहुंचा। शिवसेना की ओर से हरामखोर जैसे शब्दों के साथ शुरू हुआ गाली-गलौज धीरे-धीरे कंगना रनौत के आफिस तक पहुंच ही गया। शिवसेना के उद्धव ठाकरे की सरकार ने कंगना रनौत के ऑफिस को नेस्तनाबूद कर दिया। उद्धव सरकार ने कंगना के दफ्तर को जमींदोज भले कर दिया हो, लेकिन कंगना आसमान से ज्यादा ऊंची हो गईं हैं और शिवसेना की इज्जत मलवे में मिल गया है। इस घटनाक्रम ने फिर एकबार साबित कर दिया है कि किस तरह लोगों के इमोशनल इश्यू में टांग फंसाकर कांग्रेस अपनी कब्र खुद ही खोद लेती है, जहां इस पार्टी का कोई प्रयोजन भी नहीं।

इस पूरे घटनाक्रम में मुम्बई हाईकोर्ट का रुख भी सामने आ गया है। हाईकोर्ट ने दफ्तर में तोड़फोड़ की कार्रवाई रोकने का आदेश दिया है। बीएमसी की कार्रवाई को गलत बताया है। 10 सितंबर को हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी। इसके बाद सवाल यह है कि महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार जो रायता फैला है उसको समेटेगी कैसे? यही नहीं जो करोड़ों का नुकसान हुआ, जो मलबा फैला है उसको कैसे ढंका जायेगा। ऐसी पूरी संभावना बन गई है कि इस मलबे में ही शिवसेना कहीं न दब जाये। क्योंकि शिवसेना की उद्धव सरकार जो अभी कर रही है वो इमोशनल राजनीति, बदले की राजनीति है लेकिन इस मामले में पब्लिक इमोशन्स कंगना के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
साफ नजर आ रहा है कि शिवसेना सरकार पैंग्विन कॉमेंट का बदला ले रही है। पेंग्विन कॉमेंट आदित्य ठाकरे पर किया गया था। सुशांत प्रकरण में उनका नाम जोड़ते हुये। आरोप लगे कि आदित्य ठाकरे और रिया चक्रवर्ती में नजदीकियां हैं। यही नहीं कई और भी तरह से आदित्य ठाकरे का नाम सुशांत प्रकरण में जोड़ा गया और एक कंगना रनौत ही थीं जिन्होंने खुलकर आदित्य ठाकरे का नाम लिया। उनके खिलाफ लगातार बोला। जब तक सुशांत प्रकरण में मुम्बई पुलिस के जरिये महाराष्ट्र सरकार मामले को दबाने की स्थिति में थी तब तक शिवसेना के लोग भी शांत थे।

लेकिन जैसे ही मामला सीबीआई, ईडी और एनसीबी के पाले में गया शिवसेना के फर्जी नायक कंगना के पीछे पड़ गये। पीआर का सहारा लेते हुये कुछ बुद्धीजीवी और सेलेब्रिटी से भी आग उगलवाया जाने लगा। मगर आज जो बीएमसी ने जो किया है उससे यह साफ हो गया है कि कंगना जो आरोप लगा रही हैं, उनमें काफी दम है, सच है। महाराष्ट्र सरकार जानबूझ कर सुशांत प्रकरण पर पर्दा डाल रही थी लेकिन कंगना की वजह से कामयाब नहीं हो सकी।
पिछले 48 घंटे से कंगना के ऑफिस को ढहाने की प्रक्रिया चल रही थी। सोमवार को पहले बीएमसी के अफसरों ने धावा बोला, फिर मंगलवार को नोटिस चस्पा किया और आज बुधवार 9 सितंबर की सुबह बुलडोजर, क्रेन और पुलिस के भारी लाव लश्कर के साथ ऑफिस को ढहाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। महाराष्ट्र सरकार का पूरा प्रयोजन यह था कंगना डर जाये और मुम्बई नहीं आये।
मगर कंगना भी कहां हार माननेवाली हैं। उन्होंने भी महाराष्ट्र सरकार को चुनौती दी और कहा- रानी लक्ष्मीबाई के साहस,शौर्य और बलिदान को मैंने फ़िल्म के जरिए जिया है। दुख की बात यह है मुझे मेरे ही महाराष्ट्रा में आने से रोका जा रहा है मै रानी लक्ष्मीबाई के पद चिन्हों पर चलूँगी ना डरूंगी, ना झुकूँगी। गलत के ख़िलाफ़ मुख़र होकर आवाज़ उठाती रहूंगी, जय महाराष्ट्र, जय शिवाजी।
कंगना ने एक के बाद एक कई ट‍्वीट किये। उन्होंने ट‍्वीट किया- मणिकर्णिका फ़िल्म्ज़ में पहली फ़िल्म अयोध्या की घोषणा हुई, यह मेरे लिए एक इमारत नहीं राम मंदिर ही है, आज वहाँ बाबर आया है, आज इतिहास फिर खुद को दोहराएगा राम मंदिर फिर टूटेगा मगर याद रख बाबर यह मंदिर फिर बनेगा यह मंदिर फिर बनेगा, जय श्री राम , जय श्री राम , जय श्री राम।

उन्होंने बिल्डिंग तोड़ते हुये तस्वीरें पोस्ट कीं और एक ट‍्वीट में लिखा- बाबर सेना आ गई है। और फिर लिखा- मैं कभी गलत नहीं होती। मेरे दुश्मनों ने मुझे फिर से सही साबित किया है। इसीलिये कहा था मेरा मुम्बई POK हो गया है। यह घटना जितनी शर्मनाक है, उतना ही सरकार में शामिल पॉलिटकल पार्टियों का रुख भी।

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