कंगना बोलीं- मूवी माफिया ने कतरा-कतरा तोड़ा दिमाग, सुशांत की भावनात्मक-मानसिक लिंचिंग

New Delhi : सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर कंगना रनौत एकबार फिर मूवी माफिया पर भड़क उठीं हैं। शुक्रवार को उनकी टीम ने सोशल मीडिया अकाउंट पर उनका एक वीडियो शेयर किया। इसमें उन्होंने कहा- सुशांत के दिमाग को कतरा-कतरा करके तोड़ा गया। उन्होंने ब्लाइंड्स रिपोर्ट लिखने वाले जर्नलिस्ट्स के खिलाफ भी जमकर भड़ास निकाली।
कैप्शन लिखा- खुलेआम एक व्यक्ति की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक लिंचिंग हुई है। हम सभी इसे चुपचाप देखने के दोषी हैं। क्या सिर्फ व्यवस्था को दोषी ठहराना सही होगा? क्या कभी बदलाव भी होगा? क्या हम कहानी में महत्वपूर्ण बदलाव देखने जा रहे हैं कि बाहरी लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?

वीडियो में कंगना अपनी बात रखते हुए कहती हैं- सुशांत सिंह राजपूत मामले में कई चीजें बाहर निकलकर सामने आई हैं। कुछ मैंने इंटरव्यूज भी पढ़े हैं, कुछ डायरेक्टली भी बात की है। तो उनके पिताजी का कहना है – वो फिल्म इंडस्ट्री में हो रही टेंशन के चलते बहुत ज्यादा परेशान थे। अभिषेक कपूर जिन्होंने उन्हें लॉन्च किया था, उनके साथ हाल ही में एक फिल्म की थी ‘केदारनाथ’, उनका कहना है कि ये सिस्टमेटिक डिस्मेंटल ऑफ फ्रेजाइल माइंड था। अंकिता जो लंबे समय तक उनकी पार्टनर रह चुकी हैं, का कहना है कि वो सामाजिक रूप से किये गये अपमान और बेइज्जती को नहीं सह पाया।
कंगना कहती हैं- तो अब मैं आपको बताऊंगी कि मूवी माफिया ने ना कि सिर्फ उनको बैन किया था, बल्कि सिस्टमैटिक डिस्मेंटली कैसे कतरा-कतरा करके उनका दिमाग तोड़ा गया है। तो ब्लाइंड आइटम आप इसलिए लिखते हैं, क्योंकि जब आपको झूठ लिखना होता है और आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। क्योंकि उसमें आपका नाम नहीं लिखा होता, मगर उसकी जो डिस्क्रिप्शन होती है, उससे आप उसे पहचान सकते हैं। जैसे मेरे बारे में लिखा जायेगा, जिस लड़की के घुंघराले बाल हैं, जिसको नेशनल अवॉर्ड मिला हुआ है, जो कि साइकोटिक है, जो कि मनाली से है। इस तरह से डिस्क्रिप्शन पूरी दी जायेगी लेकिन नाम नहीं लिखा होगा।
इसके बाद कंगना कुछ मीडिया हाउसेस का नाम लेकर उनके द्वारा अलग-अलग वक्त पर सुशांत के बारे में लिखे गए ब्लाइंड्स के बारे में बताती हैं। जिनमें उनके लुक्स का मजाक उड़ाना, पार्टी में किये गये हंगामे और को-एक्टर के साथ बदतमीजी और मीटू मूवमेंट में नाम आने जैसी फर्जी और झूटी बातें लिखी गई थीं।
कंगना कहती हैं – ये जो बुद्धिजीवी हैं, ये जो चील, कौवे, गिद्ध हैं, ये जो मूवी माफिया के पाले हुये हैं। ये इसको मेंटल, इमोशनल, साइक्लोजिकल लिंचिंग को जर्नलिज्म कहते हैं।
इसके बाद कंगना अपने साथ हुये एक वाकिया बताती हैं जब उन्होंने एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का अपमान होने पर आवाज उठाई थी। वे बताती हैं – तब उन्होंने मेरे खिलाफ एक गिल्ड बनाकर मेरी फिल्म को बैन करने की बात कही थी। ये समाज जिस अन्याय की बुनियाद पर टिका है और कभी आवाज नहीं उठाता। आप ऐसे ब्लाइंड्स को चटकारे लेकर पढ़ते हैं, कभी आपने सोचा है कि कभी नेपो किड्स के बारे में ऐसा क्यों नहीं लिखा जाता है, तो ये अन्याय का फंदा किसी दिन जब आपके बच्चों के गले में लटका मिलेगा, आपके गले में लटका मिलेगा तब आपको पता चलेगा कि क्या गुजरती है।

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