New Delhi : एलएसी पर हालिया गतिरोध के बाद भारत आर्थिक मोर्चे पर चीन को लगातार झटका दे रहा है। चीनी आयात की अपने बंदरगाहों पर कस्टम मंजूरी रोकने और 59 चीनी एप्स पर रोक लगाने के बाद अब भारत ने चीनी निवेश को निशाना बनाना शुरू किया है। भारत अब प्रमुख स्टार्ट अप में चीनी निवेश को पूरी तरह बंद करना चाहता है। अगर ऐसा होता है तो यह चीन को आर्थिक परेशानी में डालेगा। इससे दोनों देशों के बीच आने वाले समय में विवाद बढ़ेगा।
With #Indian government willing to sacrifice its high-tech champions for achieving its political goal, China should strike back over its economic provocation: expert https://t.co/zs6m8v7rAU pic.twitter.com/ic4kFgxbLI
— Global Times (@globaltimesnews) July 6, 2020
फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक भारत के फूड डिलीवरी एप जोमैटो ने चीन की अलीबाबा की सहायक कंपनी एंट फाइनेंशियल के साथ जनवरी में करीब 700 करोड़ (10 करोड़ डॉलर) निवेश का करार किया था। भारत में निवेश के नये नियमों के बाद चीन से होने वाली फंडिंग खतरे में पड़ गई है, क्योंकि इसके लिए सरकार की मंजूरी लेनी होगी। जोमैटो की बाजार पूंजीकरण 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च फेलो झाओ गांचेंग ने कहा- अभी यह निश्चित नहीं है कि जोमैटो को एंट फाइनेंशियल से फंड लेने से रोका जायेगा या नहीं, लेकिन यह कदम दिखाता है कि भारत राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिये हाई टेक स्टार्ट अप का भविष्य दांव पर लगाने को तैयार है।
Opinion: Proposed ‘ #Tibet card’is adverse for Indian economy. If #India can stimulate economic vitality in Indian states bordering the Tibet region of China, the economies on both sides of the China-India border will see great improvements. https://t.co/UsPCumOiDt pic.twitter.com/pYADjCuZ8c
— Global Times (@globaltimesnews) July 6, 2020
झाओ कहते हैं – हालांकि चीन ने अभी खुद को आर्थिक तौर पर जैसे को तैसा वाली रणनीति अपनाने से रोक रखा है, लेकिन भारत लगातार चीनी कारोबार को झटका दे रहा है। यह विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन है। अगर ऐसा जारी रहा तो चीन भी आर्थिक मोर्चे पर भारत को जवाब देगा। 75 से ज्यादा कंपनियों में चीनी निवेश ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया व तकनीकी वित्तीय कंपनियां और लॉजिस्टिक क्षेत्र की करीब 75 से ज्यादा कंपनियों में चीनी कंपनियों ने निवेश किया है। भारत के करीब 30 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर वाले स्टार्ट अप) में चीन का निवेश है।