New Delhi : जानलेवा कोरोना वायरस के बारे में दुनियाभर में कयास था कि यह चमगादड़ों में पाया जाता है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों के अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है। देश के 10 में से पांच राज्यों के चमगादड़ों में वायरस मिला है। चमगादड़ों की दो प्रजातियों पर अध्ययन के बाद यह खुलासा हुआ। दोनों प्रजाति के 586 में से 25 चमगादड़ संक्रमित मिले। हालांकि वह दुनिया में अभी फैला नोवल कोरोना वायरस यानि कोविड 19 नहीं है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है, पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) लैब में तीन साल से चमगादड़ों पर अध्ययन चल रहा था। इसी बीच, वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को लेकर भी चमगादड़ों के नमूनों की जांच शुरू की। गले व मलाशय सैंपल की जांच में कई चमगादड़ संक्रमित पाई गईं।
इनमें से दो की आंत और गुर्दा भी संक्रमित मिले। कुछ ही समय पहले केरल में निपाह वायरस भी चमगादड़ों से आया था। इसीलिए नए संक्रमण का पता लगाने के लिए उन राज्यों में लगातार निगाह रखना जरूरी है, जहां चमगादड़ ज्यादा पाए जाते हैं। इधर कोरोना वायरस चमगादड़ों में पाया जाता है, लेकिन वह चमगादड़ों का ही वायरस होता है, इंसानों में नहीं आ सकता। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रवक्ता ने आज कोरोना पर डेली ब्रीफिंग के दौरान बताया कि चमगादड़ों से इंसान में कोरोना वायरस आने की घटना हजार साल में एकाध बार हो जाए तो यही बहुत बड़ी बात है।
ICMR के प्रवक्ता ने कहा – चमगादड़ दो तरह किस्म होते हैं। उनमें कोरोना वायरस पाया तो गया, लेकिन वह चमगादड़ का ही वायरस है। वह इंसान में नहीं आ सकता है। ऐसा संभव है भी तो हजार साल में एकाध बार होता होगा। कोरोना वायरस चमगादड़ों के अंदर भी पाया जाता है। चीन में हुए रिसर्च से पता चला है कि चमगादड़ से सीधे इंसान में आया होगा या फिर पेंगुलीन नामक जानवर के जरिए इंसान में आया होगा।
ICMR ने बताया कि बैट्स का वायरस का ऐसा म्यूटेशन डिवेलप हुआ जिससे उसके अंदर इंसान के अंदर क्षमता पैदा हो गई। वह ऐसा विषाणु बन गया होगा जो इंसानों में आकर बीमार करने को सक्षम हो गया हो। ऐसा वायरस इंसान में आया होगा। दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अगरवाल ने बताया कि जिलों को स्पेशल कोविड सेंटर्स तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उन्हें कहा गया है कि क्लिनिकल मैनेजमेंट की पुख्ता व्यवस्था करना है। अगरवाल ने कहा – जो जिले अब तक वायरस से अछूते हैं, उन जिलों को संक्रमण से दूर रखने की कोशिश होती रहे। एक जिले की असफलता, पूरे देश की असफलता का कारण बन सकती है।