New Delhi : गलवान घटना के बाद लगातार बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच अब हर हफ्ते बैठक होगी। बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा सैन्य कमांडर भी शामिल होंगे। यह बैठक वर्किंग मेकेनिज्म फॉर काउंसिलेशन एंड कोऑर्डिनेशन के तहत होगी। पिछले हफ्ते भी डब्ल्यूएमसीसी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक हुई थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान चीन ने 15 जून को गलवान वैली की घटना के दौरान अपने सैनिकों के नुकसान की कोई चर्चा नहीं की। हालांकि भारत पहले ही सैनिकों की संख्या बता चुका है, लेकिन चीन अभी तक चुप्पी साधे है।
#WATCH Let me make it clear. Under PM Modi's leadership, India is going to win both the battles: Home Minister Amit Shah to ANI on the fight against #COVID19 and the tensions on the Line of Actual Control in Eastern Ladakh pic.twitter.com/FBvkXZ9olZ
— ANI (@ANI) June 28, 2020
सूत्रों ने बताया कि बातचीत में चीन ने गलवान में झड़प के लिए भारत को दोषी ठहराया। चीन ने पहले भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को घटना का जिम्मेदार बताया था। चीन ने सीमा विवाद से निपटने के लिए 1959 के नक्शे को मानने की मांग की। हालांकि, भारत ने इसे खारिज कर दिया। 1962 से पहले भी इस नक्शे से समस्या सुलझाने की मांग की गई थी। तब भी भारत ने इसे खारिज कर दिया था।
चीन ने कहा- उन्होंने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बहुत पहले ही एक प्रस्ताव दे दिया था। भारत को इस पर जवाब देना चाहिए। मीटिंग में प्रस्ताव की डिटेल नहीं बताई गई। मीटिंग के दौरान चीन ने नेपाल के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए भारत पर विस्तारवादी होने का आरोप लगाया। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को खारिज किया।
China deployed martial art trainers along Tibet during border tension with India: Reportshttps://t.co/b29l6QoOMD
— Hindustan Times (@HindustanTimes) June 28, 2020
भारत ने चीन को 26 जून को दो-टूक संदेश दिया था। भारत ने कहा – सीमा पर जैसे हालात थे, उन्हें बदलने की चीन की कोशिश का असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा। उसकी प्रतिक्रिया होगी। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि हालात को सुधारने के लिए चीन के पास अब केवल एक ही रास्ता है, वो नए ढांचे खड़े करना बंद कर दे।