New Delhi : हिन्दू धर्म में मंगलवार और शनिवार के दिन भगवान हनुमान जी की पूजा की जाती है। कई लोग मन्नत पूरी होने पर हनुमान जी पर सिंदूर चढ़ाते हैं। हनुमानजी को सिंदूर अत्यंत प्रिय है। सनातन मान्यता के अनुसार हनुमानजी को शनिवार या मंगलवार को सिंदूर चढ़ाया जाये तो शनिदेव का कोप शांत हो जाता है।
हनुमान जी पर चढ़ाये जानेवाले सिंदूर का रंग नारंगी होगा। भगवान महावीर हनुमान पर मंगलवार को सिंदूर अर्पित करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। दुर्घटनाओं से रक्षा होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। सिंदूर को पीपल या पान के पत्ते पर रखकर चढ़ाना चाहिये। महिलाओं को हनुमान जी को सिंदूर अर्पित नहीं करना चाहिये। महिलाएं श्री हनुमान को लाल रंग का फूल चढ़ा सकती हैं। इसे उत्तम माना जाता है।
श्रीरामचरित मानस के अनुसार एक बार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुये देखा। तब उनके मन में जिज्ञासा जागी कि माता मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं? यह सवाल उन्होंने माता सीता से पूछा, इसके जवाब में सीता ने कहा कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिये मांग में सिंदूर लगाती हैं। शास्त्रों के अनुसार सुहागन स्त्री मांग में सिंदूर लगाती हैं तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं।
माता सीता का उत्तर सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि जब थोड़ा सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ है तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे। इससे उनके स्वामी श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना शुरू कर दिया। हनुमान जी पूरे शरीर पर सिंदूर पोतकर श्री राम के सामने सभा में प्रस्तुत हो गये। हनुमान जी का प्रेम देखकर श्री राम बहुत प्रसन्न हुए। अपने आराध्य को प्रसन्न देखकर हनुमान जी को सीता जी की बातों पर दृढ़ विश्वास हो गया। तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
एक दूसरी कथा के मुताबिक जब लंका विजय के बाद भगवान राम पत्नी सीता संग अयोध्या वापस लौटे तो वानर सेना को विदाई दी गई। माता सीता ने बहुमूल्य मोतियों और हीरों से जड़ी माला अपने गले से उतारकर हनुमान जी को विदा करते वक्त पहना दी। माला के किसी भी मोती या हीरे में कहीं भी भगवान राम का नाम नहीं था, इसलिए हनुमान जी को कोई खुशी नहीं हुई। तब सीता जी ने अपने माथे पर लगा सिंदूर हनुमान जी के ललाट पर लगाया था। सीता जी ने हनुमान जी से कहा था कि इससे अधिक महत्व की कोई वस्तु उनके पास नहीं है। तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा। जय श्रीराम।