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IAS माला को अधिकारी नहीं अपनी बेटी मानते हैं लोग, ब्रेन ट्यूमर से जूझती बच्ची को दिलाया था घर

New Delhi: ये माला श्रीवास्तव हैं। IAS अधिकारी हैं। लेकिन इनका परिचय गांव की बेटी कहकर भी किया जाता है। जी हां – गांव वाले इन्हें DM नहीं बल्कि बेटी मानते हैं।  आईएएस माला खड़े-खड़े अफसरों को सस्पेंड करने में बिल्कुल झिझकती नहीं हैं। एक तरफ आईएएस माला सख्त हैं तो दूसरी तरफ नेकदिल भी हैं।

माला श्रीवास्तव हैदराबाद की रहने वाली हैं। उनके पिता प्रशासनिक सेवा में थे, जबकि मां हाईकोर्ट में काउंसलर का काम करती थी। बचपन से ही पढ़ाई में माला का खूब मन लगता था, इसलिए बड़े होकर उन्होंने कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने IAS बनने की ठानी।

आगे उन्होंने तय कि वो IAS बनेंगी और इसके लिए उन्होंने खुद को तैयार करना शुरू कर दिया। आखिरकार उनका सपना पूरा हुआ और वो 2009 बैच में IAS बनीं। साल 2014 में उन्हें यूपी के औरैया में तैनाती मिली थी। इसके बाद वो 2018 में बहराइच, और 2019 में बस्ती की DM बनीं। अप्रैल, 2022 से वो रायबरेली में डीम के पद पर हैं।

बहराइच की डीएम रहते हुए IAS माला की एक तस्वीर खूब वायरल हुई थी, जिसमें वो सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने में जी-जान लगाते हुए नजर आई थीं। उन्हें प्राथमिक विद्यालयों में ‘विद्या दान’ पहल की शुरुआत करने के लिए याद किया जाता है। इसके तहत अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को हफ्ते में कम से कम 1 घंटा जाकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने का काम सौंपा गया था।

2016 में औरैया की कंचन को आवास दिलाने के लिए उन्होंने दूसरे जिले के डीएम को फोन लगाकर बताया कि वो एक संवेदनशील अफसर हैं। कंचन के लिए यह मदद इसलिए भी खास था कि क्योंकि जहां एक तरफ वो आर्थिक संकट झेल रही थी, वहीं दूसरी तरफ वो ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही थी। बता दें, IAS माला ने कंचन के ब्रेन ट्यूमर के इलाज का पूरा खर्च उठाया था, जिसके बाद कंचन को नई जिंदगी मिली थी। उनकी नेकदिली के कारण वह आम लोगों के लिए बेटी के समान है।

 

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