हॉस्पिटल की हैवानियत : गरीब से 20 हजार वसूले, 11 हजार और न मिले तो पैर बांध बंधक बनाया

New Delhi : मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक निजी अस्पताल में इलाज का बिल नहीं चुकाने पर मरीज को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा है – वरिष्ठ नागरिक के साथ क्रूर व्यवहार का मामला सामने आया है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी। इसके बाद पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हुआ। देर शाम एसडीएम साहेब लाल सोलंकी स्वास्थ्य टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और बयान दर्ज किये। मामले की जांच ही चल रही है।
राजगढ़ जिले के रनारा गांव के निवासी लक्ष्मीनारायण दांगी को पेट में तकलीफ होने पर शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां शनिवार को परिजन उन्हें घर ले जाना चाह रहे थे, किंतु बिल नहीं चुकाने के कारण अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें रोक लिया। मरीज की बेटी सीमा दांगी ने आरोप लगाये – उनके पास रुपये नहीं थे, इसलिए मरीज को ले जा रहे थे। अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें रोक लिया और उनके पिता के पलंग से हाथ-पैर बांध दिये। दो दिन वे इसी हाल में रहे। शुक्रवार देर रात मीडिया को मामले की जानकारी लगी।

 

मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे और पुलिस को जानकारी दी। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जानकारी लेने के बाद मरीज को घर जाने दिया। शनिवार को मामले ने तूल पकड़ा और CM शिवराज सिंह चौहान ने अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई किये जाने को लेकर ट्वीट किया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन सक्रिय हुआ। अस्पताल में जांच के लिए पहुंचे एसडीएम साहेब लाल सोलंकी ने कहा कि मामले में जांच की जा रही है। वह इसकी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपेंगे।
मरीज लक्ष्मी नारायण की बेटी सीमा का कहना है – पेट में तकलीफ होने पर पिता को भर्ती किया था। उपचार से आराम भी हुआ। दो बार हमने यहां रुपये जमा किये। रुपए खत्म होने पर हमने छुट्टी करने को कहा तो अस्पताल वाले 11 हजार रुपये और मांगने लगे। हम जाने लगे तो रोक लिया और पिता के हाथ-पैर पलंग से बांध दिये। अस्पताल में ही मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने भी इस बात की पुष्टि की। राधेश्याम नामक व्यक्ति ने बताया – पैसे का कोई चक्कर था, इसलिए मरीज को बांध रखा है। दो दिन से खाने को भी कुछ नहीं दिया, सिर्फ पानी पिलाया है। उन्होंने उसे भोजन कराने की कोशिश की किंतु हाथ-पैर बंधे होने के कारण मदद नहीं कर सके।
अस्पताल के संचालक डॉ. वरुण बजाज ने बताया – मरीज को आंत की रुकावट थी। वह फ्रेश नहीं हो पा रहा था, इसलिए उसकी नाक से नली डाली गई थी। ऐसे में मरीज को तकलीफ होती है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाती है। इससे वह अजीब हरकतें करने के साथ उठकर भागने लगता है। इस कारण उसे रोकने के लिए बांधा गया था। बिल की राशि के लिये मरीज को बांधने के आरोप गलत हैं। मरीज की बेटी का कहना था कि हम बिल नहीं देंगे। इसे लेकर हमने लिखित में पुलिस को शिकायत भी की थी।

 

मामले की जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचने और उनके द्वारा सख्त कार्रवाई के निर्देश देने के बाद भोपाल से लेकर शाजापुर तक के अधिकारी सक्रिय हो गये। दोपहर तक जिस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं थी, उसी मामले में देर शाम आनन-फानन में जांच शुरू की गई। पुलिस, प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम भी अस्पताल पहुंची। एसडीएम के निर्देशन में जांच शुरू हुई। कलेक्टर भी एसडीएम की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। अस्पताल में समय लगने से कलेक्ट्रोरेट का कर्मचारी भी अस्पताल पहुंचा और जानकारी ली।

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