New Delhi : मद्रास उच्च न्यायालय ने शनिवार को मौजूदा प्रवासी संकट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वे दोनों प्रवासी मजदूरों की देखभाल करने में नाकाम रहीं। सरकार के कामकाज पर तल्ख टिप्पणी की। कहा- प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति कुछ और नहीं बल्कि एक मानव त्रासदी है और यह देखकर कोई भी अपने आंसू नहीं रोक सकता। अदालत ने मौजूदा हालात से निपटने के नाकाफी उपायों पर केंद्र व राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्हें प्रवासी श्रमिकों का राज्यवार डाटा उपलब्ध कराने का आदेश दिया। उन्हें 22 मई तक अपना-अपना पक्ष रखने का आदेश है।
Everyday poor people lose their right to live 😭#MigrantLabours
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— NILESH PANDEY (@NILESHP74637887) May 16, 2020
न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरन और आर. हेमलता ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल आवास तक पहुंचने के लिए कई दिनों तक पैदल चलते देखना दुखद है। इस क्रम में कई ने हादसों में अपनी जिंदगी गंवा दीं। सभी राज्यों को अपनी मानवीय सेवाओं को उन प्रवासी मजदूरों तक पहुंचाना चाहिए था।
इस दौरान अदालत ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेल हादसे का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा- पिछले एक महीने से मीडिया में दिखाई गई प्रवासी श्रमिकों की दयनीय स्थिति को देखकर कोई भी अपने आंसू नहीं रोक सकता। कोर्ट की इस फटकार के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडापादी के. पलानीस्वामी ने प्रवासियों से शिविरों में ही बने रहने और सरकार को उनकी मदद करने देने की अपील की। उन्होंने कहा – हम आपको ट्रेनों से वापस भेजने के लिए अन्य राज्यों से बातचीत कर रहे हैं। अब तक करीब 53,000 प्रवासी श्रमिकों को बिहार, ओडिशा, झारखंड, बंगाल और आंध्र प्रदेश वापस भेजा जा चुका है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रवासी संकट पर स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने यह आदेश महाराष्ट्र में फंसे तमिलनाडु के सैंकड़ों प्रवासी श्रमिकों के संबंध में दाखिल एक पूर्व याचिका पर दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या प्रत्येक राज्य के प्रवासी श्रमिकों से जुड़ा कोई डाटा उपलब्ध है और यह इंगित किया कि यह उन्हें पहचानने और उनके घर पहुंचाने में मदद करने के लिए अमूल्य होगा। उसने यह भी बताने को कहा कि अब तक कितने प्रवासी श्रमिक मारे गए हैं और वे किन राज्यों से थे एवं क्या उनके परिवारों को मुआवआ देने की कोई योजना है।
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— sagar deshpande (@I_am_sago) May 14, 2020
उसने उन प्रवासी श्रमिकों का भी डाटा मांगा है, जिन्हें रेलवे की विशेष ट्रेनों से घर पहुंचाया गया और साथ ही सरकार से पूछा कि क्या उसके पास अन्य श्रमिकों को सुरक्षित पहुंचाने की कोई योजना है। अदालत ने भी पूछा कि क्या महिलाओं एवं बच्चों सहित लाखों प्रवासियों का पलायन पूरे देश में कोविड-19 के प्रसार के कई कारणों में से एक है।