New Delhi : देवी दुर्गा हो, सरस्वती या महालक्ष्मी, इन तीनों देवियों की आराधना का दिन शुक्रवार को माना गया है। खासतौर पर महालक्ष्मी की आराधना के लिए शुक्रवार का विशेष महत्व है।
श्रीपुरम् वैल्लूर में बना महालक्ष्मी मंदिर सबसे महंगे मंदिरों में से एक माना जाता है। सैंकड़ों किलो सोने से बने इस मंदिर में देवी लक्ष्मीकी 120 किलो सोने की प्रतिमा स्थापित है।
चेन्नई से लगभग 145 किमी. की दूरी पर बसा यह शहर ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। वैल्लूर से 7 किलोमीटर दूर थिरूमलाईकोडी में सोने से बना श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर स्थित है। इस मंदिर को बनने में 7 वर्षों का समय लगा, जो लगभग 100 एकड़ भूमि परबना हुआ है। महालक्ष्मी मंदिर के निर्माण में तकरीबन 15000 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ है। मंदिर में देवी महालक्ष्मी की मूल प्रतिमाभी सोने की है, जिसका वजन लगभग 120 किलो है। 24 अगस्त 2007 को यह मंदिर दर्शन के लिए खोला गया था।
विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है, जितना की इस लक्ष्मी–नारायण मंदिर में लगाया गया। रात में जब इसमंदिर में प्रकाश किया जाता है, तब सोने की चमक देखने लायक होती है।
दर्शनार्थी मंदिर परिसर की दक्षिण से प्रवेश कर क्लाक वाईज घुमते हुए पूर्व दिशा तक आते हैं, जहां से मंदिर के अंदर भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के दर्शन करने के बाद फिर पूर्व में आकर दक्षिण से ही बाहर आ जाते हैं। साथ ही मंदिर परिसर में उत्तर में एक छोटा सा तालाबभी है।मंदिर परिसर में लगभग 27 फीट ऊंची एक दीपमाला भी है। इसे जलाने पर सोने से बना मंदिर, जिस तरह चमकने लगता है, वह दृश्यदेखने लायक होता है। यह दीपमाला सुंदर होने के साथ–साथ धार्मिक महत्व भी रखती है। सभी भक्त मंदिर में भगवान विष्णु और देवीलक्ष्मी के दर्शन करने के बाद इस दीपमाला के भी दर्शन करना अनिवार्य मानते हैं।
देश के किसी भी हिस्से से तमिलनाडु के वैल्लोर तक सड़क, रेल मार्ग या वायु मार्ग से पहुंचकर महालक्ष्मी मंदिर आसानी से पहुंचा जासकता है। दक्षिण भारत का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन काटपाडी है। यह महालक्ष्मी मंदिर से सात किलोमीटर की दूरी पर ही है।काटपाडी रेलवे स्टेशन वैल्लोर शहर का हिस्सा है।