New Delhi : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तैनाती के मामलों में बीजिंग से कही बेहतर भारत की स्थिति है। ये बात हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हालिया आकलन में कही गई है। यूएस नेवल वॉर कॉलेज के को-ऑथर ओ’डोनिएल ने से कहा- अगर चीन हमला करता है तो सीमावर्ती इलाकों में भारत और चीन के सैनिकों की बड़ी तादाद में स्थाई रूप से तैनाती के चलते भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना को पीछे धकेलने में सक्षम है। हालांकि, इस दौरान दोनों देशों को काफी नुकसान होगा।
Over the past dozen years India has not only closed the gap with China in this military theatre, it may now have a slender superiority.#Opinion by @PramitWorldhttps://t.co/DFuQtr5OxS
— Hindustan Times (@htTweets) June 22, 2020
इसमें कहा गया है कि एक चीज जिसका पता नहीं चल पाया वो ये है कि इस तरह की लड़ाई में भारतीय के कम्युनिकेशन और लॉजिस्टिक्स को बाधा पहुंचाने के लिए चीन किस तरह साइबर हमले का इस्तेमाल करेगा। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई सालों में भारत ने चीन के मुकाबले ना सिर्फ अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत किया है बल्कि कई मायनों में ये उससे ज्यादा शक्तिशाली हो चुका है। भारतीय अधिकारी इस दृष्टिकोण से सहमत रखते है हालांकि तनाव के चलते भारत के पूर्ण प्रभुत्व के बारे में कुछ नहीं बताया है।
चीन की सेना इस समस्या को साल 2000 के मध्य से ही समझने लगी थी। भारत और चीन की सेनाओं की संख्या सीमा पर करीब-करीब बराबर है। दोनों तरफ 2-2 लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती है। लेकिन, चीनी सैनिकों का कुछ हिस्सा रूस की सीमा के साथ तिब्बत और जिनजियांग में विद्रोह को लेकर रिजर्व है।
लड़ाकू विमानों की संख्या के मामलों में भारत की स्थिति कहीं ज्यादा अच्छी है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस इलाके में चीन के किसी भी लड़ाकू विमान से सुखोई-30 बेहतर है। ओ’डोनियल ने कहा- सीमा पर भारत के पास ज्यादा और बेहतर लड़ाकू विमान हैं और चीन की तुलना में कही ज्यादा अनुभवी एयर क्रूज और सेनाओं की पॉजिशन है।
As the situation unfolds, dominant sentiment among people living near LAC in #Ladakh is that #China must not get away with its transgressions.
Durbuk Namgiyal,ex-congress councillor from Village Durbuk, 121 kms from #Galwanvalley,says the loss of jawans at Galwan is irreparable. pic.twitter.com/ciU01kJUwn
— IANS Tweets (@ians_india) June 22, 2020
दशकों तक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की जर्नल- साइंस ऑफ मिलिट्री स्ट्रेटजी में चीन के विदेशी सुरक्षा मामलों में भारत को चौथा स्थान दिया जाता था। इसमें बदलाव होना शुरू हुआ है। चाइना डिफेंस डेली साल 2013 में सीमा पर भारत की तरफ से बढ़ाए गए सुरक्षाबलों के बारे में जिक्र किया था। 2017 में नानफंग डेली के एक सर्वे में चीन के सामरिक थिंकर्स ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी – भारत की रक्षा रणनीति में बदलाव हुई है… और यह आक्रामक है।