महावीर हनुमान को सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है. इन्होंने भगवान श्री राम के चरणों में अपने जीवन को समर्पित कर दिया. माना जाता है कि यह हर एक असंभव काम क्षण भर में पूरा कर देते हैं. इसलिए इन्हें संकट मोचक भी कहा जाता है. इनका जिक्र आते ही हमारे मन में उनकी बलशाली छवि उभर आती है. पर उनसे जुडे़ सभी तथ्यों को ध्यान से पढ़ें, तो हम पायेंगे कि वह वीर होने के साथ-साथ अन्य कई महान गुणों से भी परिपूर्ण थे. इन गुणों का अनुसरण करने भर से असंभव को संभव किया जा सकता है. तो आइये जानने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से हनुमान जी के गुण हमारे जीवन में काम आ सकते हैं.
वीरता
हनुमान जी की वीरता के किस्से किसी से छुपे नहीं हैं. सीता हरण के बाद जिस तरह से तमाम बाधाओं को पार करते हुए हनुमान जी श्रीलंका पहुंचे, वह वीरता का प्रतीक है. वह सिर्फ लंका ही नहीं पहुंचे, बल्कि उन्होंने अपनी वीरता से अहंकारी रावण का मद भी चूर-चूर कर दिया. जिस सोने की लंका पर रावण को अभिमान था, हनुमान जी ने उसमें आग लगाकर राख कर दिया. उनकी वीरता से प्रेरणा लेकर हमें वीर बनने की जरुरत है, ताकि आज के समय में तेजी से उभरने वाले रावण सरीखे अराजक तत्वों को हम खत्म कर सके.
रावण की सोने की लंका को जलाकर जब हनुमान जी दोबारा सीता जी से मिलने पहुंचे, तो सीता जी ने कहा पुत्र हमें यहां से ले चलो. इस पर हनुमान जी ने कहा कि माता मैं आपको यहां से ले चल सकता हूं. पर मैं नहीं चाहता कि मैं आपको रावण की तरह यहां से चोरी से ले जाऊं. रावण का वध करने के बाद ही प्रभु श्रीराम आदर सहित आपको ले जाएंगे. दुश्मन के घर में खड़े होकर इस तरह की बात करना हनुमान जी के अदम्य साहस को दर्शाता है. ऐसे साहस का संचार हमें अपने जीवन में भी करना चाहिए, ताकि हमें किसी भी परिस्थिति में कायरता से भरे रास्ते को न चुनना पड़े.
विनम्रता
माता सीता को लंका से लाने के लिए जब हनुमान जी समुद्र लांघने की कोशिश कर रहे थे, तब उनका सामना ‘सुरसा’ नामक राक्षसी से हुआ, जो समुद्र के ऊपर से निकलने वाले को खाने के लिए कुख्यात थी. हनुमान जी ने जब ‘सुरसा’ से बचने के लिए अपने शरीर का विस्तार करना शुरू कर दिया, तो प्रत्युत्तर में सुरसा ने अपना मुंह और बड़ा कर दिया. इस पर हनुमान जी ने स्वयं को छोटा कर दिया और सुरसा के पेट से होकर बाहर आ गए. हनुमान जी की इस विनम्रता से ‘सुरसा’ संतुष्ट हो गईं और उसने हनुमान जी को आगे बढ़ने दिया. अर्थात केवल बल से ही जीता नहीं जा सकता बल्कि ‘विनम्रता’ से भी कई काम आसानी से किये जा सकते हैं.
समर्पण
भगवान राम और हनुमान जी के पावन व पवित्र रिश्ते को कौन नहीं जानता. राम जी की ओर अपनी भक्ति भावना के लिए हनुमान जी ने अपना सारा जीवन त्याग दिया था और कभी भी विवाह ना करने का निश्चय किया था. उन्हें एक आदर्श ब्रह्चारी माना जाता है. हालांकि मछली की कोख से जन्म लेने वाले मकरध्वज को उनका बेटा बताया जाता है. भगवान राम के लिए हनुमान जी के समर्पण से हमें सीख मिलती है कि हम इस गुण से दुनिया को जीत सकते हैं.
नेतृत्व
लंका तक जाने के लिए भगवान राम की सेना को समुद्र पार करके जाना था. इसके लिए एक पुल बनाने की जरुरत थी. माना जाता है कि इस पुल को बनाने में हनुमान जी अपने नेतृत्व क्षमता का प्रयोग किया. चूंकि उनकी सेना में कमजोर और बलशाली दोनों प्रकार के लोग थे. ऐसे में उनके पास चुनौती थी कि वह किसको किस काम में लगायें. पर हनुमान जी ने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता के बल पर सभी का उपयोग किया. उनका यह गुण किसी भी क्षेत्र के लिए उपयोगी है. इस गुण के बिना किसी भी प्रकार के प्रबंधन की परिकल्पना करना बेकार है.
आदर्शवान
हनुमान जी जब लंका में माता सीता से मिलने गये तो मेघनाथ ने उन पर ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग कर दिया था. ऐसे में हनुमान जी चाहते तो वह इसका जवाब दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वह ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे. उन्होंने मेघनाथ के ब्रह्मास्त्र का सम्मान करते हुए उसको स्वीकार किया. हनुमान जी के इस फैसले से उनकी जान भी जा सकती थी, पर उन्होंने अपने आदर्शों से कोई समझौता नहीं किया. यह हमें सिखाता है कि हमें अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.
सक्रियता
रावण से युद्ध के दौरान जिस वक़्त लक्ष्मण जी बेहोश हो गए थे, तब उनके प्राणों की रक्षा के लिए संजीवनी बूटी की जरुरत थी. इसकी तलाश में गए हनुमान जी को जब संजीवनी की पहचान न हो सकी तो, वह पूरा पहाड़ उठा लाए थे. ऐसा वह इसलिए कर पाये क्योंकि उनके अंदर निर्णय लेने की असीम क्षमता थी. उनका यह गुण अपने दिमाग को सक्रिय रखने के लिए प्रेरित करता है.
संवाद-कुशलता
सीता जी से हनुमान पहली बार रावण की ‘अशोक वाटिका’ में मिले, तो माता सीता उनको नहीं पहचान सकीं. एक वानर से श्रीराम का समाचार सुन वे आशंकित भी हुईं, क्योंकि रावण की यह चाल भी हो सकती थी. ऐसी स्थिति में माता सीता को खुद पर भरोसा दिलाना उनके लिए कठिन था, लेकिन अपनी कुशल संवाद शैली के चलते हनुमान माता सीता को भरोसा दिलाने में सफल रहे कि वह भगवान राम के ही दूत हैं. उनका यह गुण हमें सिखाता है कि संवाद कुशलता कितना बड़ा गुण होता है.
हनुमान जी ने अपने इन सभी गुणों के चलते प्रमाणित कर दिया कि बिना किसी लाभ के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है. उनके गुण ही थे, जिनके कारण उनको रामकथा में इतनी प्रमुखता मिलती है. हो न हो अगर हम हनुमान जी के सभी गुणों को अपने जीवन में उतार लेते हैं, तो निश्चित रूप से हमारा कल्याण हो सकता है.
हनुमान जी ने अपने इन सभी गुणों के चलते प्रमाणित कर दिया कि बिना किसी लाभ के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है. उनके गुण ही थे, जिनके कारण उनको रामकथा में इतनी प्रमुखता मिलती है. हो न हो अगर हम हनुमान जी के सभी गुणों को अपने जीवन में उतार लेते हैं, तो निश्चित रूप से हमारा कल्याण हो सकता है.