New Delhi : ओडिशा के नयागड़ जिले के भापुर ब्लाक में पद्मावती के समीप से बहने वाली महानदी में 500 साल पुराने एक गोपीनाथ मंदिर के अवशेष दिखाई देने की खबर सुनते ही प्रदेशभर के लोग व्याकुल हो गये हैं। लोगों ने प्रभु के दर्शन के लिये भीड़ जमा दी है। कुछ साल पहले भी इस मंदिर का अग्र भाग नदी का पानी कम हो जाने से दिखाई दिया था, इस साल मंदिर का कुछ भाग फिर से दिख रहा है।
‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज’ (इनटाक) के ‘डाक्यूमेंटेशन ऑफ दि हेरिटेज आफ दि महानदी वैली, प्रोजेक्ट’ के अधीन आने से इसने पूरे राज्य का ध्यान आकर्षित किया है। यह खबर सामने आते ही अब इस जगह पर लोगों की भीड़ भी जम रही है। पद्मावती गांव के लोग तथा इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस जगह पर पद्मावती गांव था। यह पद्मावती गांव का मंदिर है।
Submerged temple believed to be 500 years old emerges to view in Mahanadi river near Bhapur in Nayagarh#Odisha pic.twitter.com/hK5Stmgau7
— OTV (@otvnews) June 10, 2020
महानदी के गतिपथ बदलने के साथ बाढ़ आने के कारण 1933 में पद्मावती गांव सम्पूर्ण रूप से महानदी के गर्भ में समा गया था। नदी को गतिपथ बदलकर पद्मावती गांव को अपने गर्भ में लेने में 30 से 40 साल का समय लगा। धीरे-धीरे पद्मावती गांव ने गहरे जल में समाधि ले ली। पद्मावती गांव के लोग वहां से स्थानान्तरित होकर रगड़ीपड़ा, टिकिरीपड़ा, बीजीपुर, हेमन्तपाटणा, पद्मावती (नया) आदि गांव में बस गये। पद्मावती गांव के लोग हथकरघा, कुटीर शिल्प सामग्री निर्माण के साथ कैवर्त के तौर पर कार्य कर रहे थे। अपनी सामग्री पश्चिमांचल में भेज रहे थे। उस समय परिवहन के लिए जलपथ का व्यापक रूप से प्रयोग होने से पद्मावती गांव के लोगों ने नदी किनारे अपना डेरा डाला था।
वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता अनिल धीर ने कहा- इस गांव के मंदिर के नदी में लीन होने में 100 से 150 साल लगे होंगे। मंदिर की निर्माण शैली आज से 400 से 500 साल पुरानी है। नदी के गर्भ में लीन होने वाली इस मंदिर की प्रतिमा वर्तमान पद्मावती गांव के कैवर्तसाही के पास के मंदिर में स्थापित किये जाने की बात कही जाती है। उसी तरह से नदी के गर्भ में लीन होने वाले पद्मावती गांव के जगन्नाथ मंदिर की प्रतिमा टिकिरीपड़ा में दधिवामनजीउ मंदिर में, पद्मावती गांव के पद्मनाभ सामंतराय के द्वारा प्रतिष्ठित रास विहारी देव मंदिर की प्रतिमा वर्तमान समय में पद्मावती में है। मूल पद्मावती गांव नदी के गर्भ में लीन होने के बाद इस तरह के अनेकों मंदिर की प्रतिमा को उठाकर नए पद्मवती गांव में स्थापित किया गया है।
धीर ने कहा – इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज (इनटाक) की तरफ से डाक्यूमेंटेशन ऑफ दि हेरिटेज आफ दि महानदी रिवर वैली प्रोजेक्ट शुरु किया गया है। छत्तीसगढ़ से महानदी के निकलने वाले स्थान से जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तक 1700 किमी. (दोनों तरफ) के किनारे से 5 से 7 किमी. के बीच सभी पुरानी कीर्तियों की पहचान की जाएगी। इन तमाम सामग्रियों की रिकार्डिंग की जा रही है। फरवरी महीने में इसकी सूची प्रकाशित की जाएगी।
An ancient temple of lord gopinath submerged in mahanadi river near bhapur in nayagar district of odisha.
It is believed that temples belonging to 14/15th century.
The native peoples of that area said that there are more than 22 temple submerged in that area. @LostTemple7 pic.twitter.com/zU8FmaBsn7— satya narayan karan (@stnarayan0) June 10, 2020
धीर ने कहा – ओडिशा में ऐसे बहुत से मंदिर हैं पानी में डूबे हुए हैं। इसमें हीराकुद जलभंडार में 65 मंदिर शामिल हैं। नदियों में भी बहुत से मंदिर समाहित हैं, जिनका सर्वे होना चाहिए। कुछ मंदिर अभी भी खड़े हैं और कुछ ढह गए हैं। एक माडल के तौर पर गोपीनाथ मंदिर को पुन: महानदी से निकालकर जमीन में स्थापित किया जाना चाहिये।