New Delhi : सरकार ने देश की सीमाओं पर जटिल परिस्थितियों में सड़क निर्माण कार्य में लगे कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 170 फीसदी की वृद्धि की है। सीमा पर तनाव को देखते हुये विशेष जोखिम भत्ता के तहत सबसे अधिक वेतन लद्दाख क्षेत्र के कर्मचारियों को मिला है। यहां 10वीं पास सबसे कनिष्ठ कर्मचारी (एमटीएस) का वेतन 34,000 हजार से अधिक है। जबकि सामान्य स्नातक डिग्री धारक कार्यायल सहायक का वेतन 47,000 है। नई वेतन व्यवस्था एक जून से लागू हो गई है। इससे श्रीनगर-लेह, लद्दाख के पढ़े लिखे टेक्निकल -नॉन टेक्निकल बेरोजगार युवाओं का नौकरी के बेहतर अवसर मिलेंगे।
Amid tensions with China, MHA reviews progress of road construction along LAC https://t.co/EWu4DzAEZ4
— Republic (@republic) June 22, 2020
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के उपक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएआईडीसीएल) ने पिछले महीने आउड सोर्सिंग अथवा सीधे ठेके के टेक्निकल-नॉन टेक्निकल कर्मियों को पहली बार विशेष जोखिम भत्ता देने संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें उल्लेख है कि चीन, पाकिस्तान, बंग्लादेश के बार्डर व पहाड़ी क्षेत्र के ठेका कर्मियों के जोखिम भत्ते में 100 से 170 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है।
सरकारी कंपनी के अनुसार, लद्दाख में आउटसोर्स नॉन टेक्निकल स्टाफ डाटा इंट्री ऑपरेटर (12वीं पास) का वेतन 16770 से बढ़ाकर 41440 कर दिया गया है। जबकि दिल्ली में नियुक्ति होने पर उसे 28000 रुपये वेतन मिलेगा। इसी प्रकार लद्दाख में अकाउंटेंट का वेतन 25700 से बढ़ाकर 47360 रुपये कर दिया गया है। लद्दाख में टेक्निकल स्टाफ बी-टेक अथवा सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुके ट्रेनी ग्रेजुएट इंजीनियर का वेतन 30000 से बढ़ाकर 60000 रुपये कर दिया है। ग्रेजुएट इंजीनियर का वेतन 45000 से बढ़ाकर 78000 कर दिया है। प्रबंधक (चार साल अनुभवी सिविल इंजीनियर) का वेतन 50000 से बढ़ाकर 1,12,800 रुपये हो गया है। वरिष्ठ प्रबंधक 55000 हजार के बजाए 1,23,600 रुपये वेतन पाएगा।
आउटसोर्स व सीधे ठेके पर रखे गए टेक्निकल व नॉन टेक्निकल स्टाफ को पांच लाख का मेडिकल बीमा व 10 लाख का दुर्घटना बीमा एजेंसी की ओर से दिया जाएगा। टीए, डीए, ईएसआई, पीएफ आदि की सुविधाएं भी उक्त ठेका कर्मचारियों को मिलेंगी।
Border Management Secretary reviews road construction along LAC with China https://t.co/Rgb4QdWug3
— Devdiscourse (@dev_discourse) June 22, 2020
सरकारी कंपनी ने जोखिम व दुर्गम स्थलों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। इसमें पहली श्रेणी में असम, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम व उत्तराखंड को रखा गया है। दूसरी श्रेणी में अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम व नागालैंड को शामिल किया है। जबकि सबसे जोखिम वाली तीसरी श्रेणी में लद्दाख को रखा गया है।