New Delhi : होलिका की अग्नि में गाय का गोबर, गाय का घी और अन्य हवन सामग्री का दहन करना शुभ होता है। प्रचलित लोकव्यवहार के विपरीत होली के दौरान शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
होलिका की भस्म उसौभाग्य का प्रतीक है। इसलिए उसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि होली की भस्म में देवताओं की कृपा होती है।इस भस्म को माथे पर लगाने से भाग्य अच्छा होता है और बुद्धि बढ़ती है। होलिका जलने के बाद वहां की राख को घर में लाकर कोनों मेंरखना चाहिए। इससे सकारात्मक माहौल बना रहता है।
सालों पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राजा था। उसने अपनी प्रजा को आदेश दिया कि ईश्वर की आराधना न करके उसकीपूजा की जाए। वहीं उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को सबक सिखाने के लिए अग्नि मेंजलाकर भस्म करने की योजना बनाई।
इसके लिए उसने अपनी अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त कर चुकी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले करदिया। भगवान विष्णु की कृपा से इसमें होलिका भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद की रक्षा हुई। तभी से हम बुराइयों और पाप के अंत केरूप में होलिका का दहन करते हैं।
अब हर कोई होलिका दहन के शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि जानना चाहते है लेकिन साथ ही हर साल होली अपने साथ कई शुभ समयऔर संयोग भी लेकर आती है। जो इस बार भी हुआ है। इस बार होली 9 मार्च की है तो वही 10 मार्च को रंग है। इसी दिन हर कोई एकदूसरे के साथ रंग–बिरंगे कलर से होली खेलेंगे। लेकिन इससे एक दिन पहले 9 मार्च को तमाम जगहों पर होलिका दहन होगी। इस बारहोलिका दहन काफी खास है। इस बार का होलिका दहन भद्रा से मुक्त होगा। जिसकी जानकारी ज्योतिषों ने दी है। ज्योतिषों केअनुसार, इस बार काफी सालों बाद होलिका दहन भद्रा से मुक्त रहेगा।
ज्योतिष के मुताबिक, इस साल होलिका दहन शाम 6 बजे के बाद होगा। लेकिन भद्रा का समय दोपहर 1.30 बजे तक ही रहेगा। बता देंकि भद्रा के स्वामी शनि और राहु होते है जिस वजह से इस मौके पर शुभ फल नहीं मिलता है और न ही भद्रा योग में कोई उत्सव मनायाजाता है। जिस वजह से हर साल अगले दिन होली खेली जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। ज्योतिष के अनुसार, हर तारिख के 2 भागहोते है। जिसको अलग–अलग नाम दिया गया है। पहले भाग में सप्तमी और चतुर्दशी तिथि होती है और दूसरे भाग में तृतीया और दशमीतिथि होती है। इन्हें ही भद्र कहा जाता है। इसी तरह शुक्लपक्ष में अष्टमी और पूर्णिमा तिथि के पहले भाग एवं एकादशी और चतुर्थीतिथि के दूसरे भाग को भद्रा कहा जाता है।
होलिका दहन का शुभ दिन 9 मार्च का है। इन दिन शाम को 6 बजकर 22 मिनट पर होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। इसके बादये शुभ समय 8 बजकर 49 मिनट तक बना रहेगा। हालांकि भद्रा पुंछा में सुबह 9 बजकर 50 मिनट पर शुभ समय शुरू होगा। जो 10 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। और भद्रा मुखा में सुबह 10 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 32 मिनट तक शुभ समय रहेगा।