अच्छी पहल : सरकार और उद्योगपति की अपील पर बिहार से 1080 मजदूर तेलंगाना काम करने लौटे

New Delhi : कोरोना और लॉकडाउन के बीच जहां बड़ी संख्या में कामगार बड़े शहरों, औद्योगिक इलाकों से अपने-अपने गांव की ओर जा रहे हैँ वहीं इक्का-दुक्का ऐसी सूचनाएं भी आ रही हैं कि कुछ कामगार गांव से शहरों की ओर रोजगार के लिये जा रहे हैं। फिलहाल एक ऐसा ही मामला बिहार में सामने आया है। बिहार के खगड़िया जिले के एक हजार से अधिक कामगार गुरुवार 7 मई को तेलंगाना के लिये यात्रा पर निकल गये। इनको काम पर लौटने के लिये प्रोत्साहित करने में बिहार और तेलंगाना दोनों राज्य के सरकारों की भूमिका भी रही। और बड़ी भूमिका उस बिजनेसमैन की भी रही जिसका काम इन कामगारों के न रहने की वजह से ठप पड़ा हुआ था।

ट्रेनों से यूपी बिहार लौटनेवालों का तांता लगा है। ऐसे में मजदूरों का काम पर लौटना इस माहौल में शुभ संकेत है।

बिहार में खगड़िया रेलवे स्टेशन से गुरुवार अलसुबह 3.45 बजे श्रमिक विशेष ट्रेन से रोजगार के लिए तेलंगाना के लिंगमपल्ली शहर गये। इनमें अधिकांश बेलदौर व चौथम के हैं। खगड़िया रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने बताया कि 1,080 मजदूरों ने यहां से टिकट कटाया है। खगड़िया के जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने बताया कि लिंगमपल्ली की चावल मिल में काम करने वाले ये श्रमिक होली पर घर आये थे। लॉकडाउन के कारण वापस नहीं लौट सके। मिल संचालक की मांग पर तेलंगाना सरकार ने बिहार सरकार से इन्हें भेजने की अपील की। इसके बाद प्रशासन ने श्रमिकों से सहमति ली और जांच के बाद श्रमिकों को विशेष ट्रेन से भेजा गया। तेलंगाना सरकार ने खुद इनका किराया वहन किया है ताकि काम प्रभावित न हो।
तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गोवा श्रमिकों को रोकने की पहले से ही अपील कर रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को प्रवासी श्रमिकों से राज्य में टिककर औद्योगिक गतिविधियों को बहाल करने में सहयोग देने का आग्रह किया था। हालांकि, आलोचना के बाद वापसी के इच्छुक श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजने के इंतजाम किये।
कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में शामिल मध्य प्रदेश ने महामारी से जंग के साथ आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए कई बड़े कदम उठाये हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फेसबुक लाइव के जरिए श्रम सुधारों व अन्य बदलावों की जानकारी दी है। उद्योगों व श्रमिकों को कई रियायतें दी गई हैं। कारखानों में कार्य की पाली आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दी गई है। कारखाना मालिक अब खुद शिफ्ट परिवर्तित कर सकेंगे।

श्रमिक ट्रेन की प्रतीकात्मक तस्वीर।

हरियाणा सरकार भी नहीं चाहती कि यहां रहने वाले दूसरे प्रदेशों के श्रमिक और फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर अपने घरों को वापस लौटे। हरियाणा में 20 लाख से ज्यादा लोग दूसरे प्रदेश के विभिन्न व्यापार में काम करते हैं। हरियाणा से सिर्फ 45 से 47 हजार दूसरे राज्यों के लोग ही घरों को लौटने के लिए तैयार हुए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिला उपायुक्तों को भी निर्देश दिये हैं कि वह मजदूरों को यह समझाने की कोशिश करें कि जब वह अपने प्रदेश लौटेंगे तो वहां उन्हें पहले 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जायेगा। उसके बाद उनके सामने रोजगार का संकट रहेगा। वापस लौटने में भी परेशानी हो सकती है।

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