गणेश चतुर्थी व्रत आज, श्राप से मुक्ति के लिये चंद्रदेव ने भी किया था व्रत, चंद्र दर्शन की है परंपरा

New Delhi : आज गुरुवार, 12 मार्च को गणेश चतुर्थी व्रत है। इस तिथि पर प्रथम पूज्य गणेशजी के लिए व्रत उपवास करने की परंपराहै। इस व्रत की कथा चंद्रदेव से जुड़ी है। चतुर्थी तिथि पर ये कथा पढ़नेसुनने का भी विशेष महत्व है।

गणेशजी ने चंद्र को दिया था शाप : शिवपुराण में बताया गया है कि प्राचीन समय में भादौ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि परगणेशजी का जन्म हुआ था। इस वजह से चतुर्थी तिथि पर गणेशजी के लिए विशेष पूजापाठ किया जाता है। एक अन्य मान्यता केअनुसार गणेशजी ने शिवजी को पार्वती से मिलने से रोका था। वे अपनी माता पार्वती की आज्ञा का पालन कर रहे थे। पार्वती ने कहा थाकि किसी को भी मेरे कक्ष में आने मत देना। जब शिवजी को गणेशजी ने रोका तो शिवजी क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेशजीका सिर धड़ से अलग कर दिया।

जब पार्वती को ये बात मालूम हुई तो उन्होंने शिवजी से गणेशजी को पुन: जीवित करने के लिए कहा। तब शिवजी ने गणेशजी के धड़ परहाथी का सिर लगा दिया और उन्हें जीवित कर दिया। इसके बाद एक दिन चंद्र गणेशजी का ये स्वरूप देखकर हंस रहे थे। गणेशजी नेचंद्र को देख लिया। चंद्रदेव को अपने सुंदर स्वरूप का घमंड था। तब गणेशजी ने चंद्र को शाप दिया कि अब तुम धीरेधीरे क्षीण होनेलगोगे।

ये शाप सुनकर चंद्र ने गणेशजी से क्षमा मांगी। तब गणपति ने कहा कि ये शाप निष्फल तो नहीं जा सकता, लेकिन इसका प्रभाव कम होसकता है। तुम चतुर्थी का व्रत करो। इसके पुण्य से तुम फिर से बढ़ने लगोगे। चंद्रदेव ने ये व्रत किया। इसी घटना के बाद से चंद्र कृष्णपक्ष में घटता है और फिर शुक्ल पक्ष में बढ़ने लगता है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र अपना पूर्ण स्वरूप प्राप्त कर लेता है। गणेशजी के वरदानसे ही चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाले भक्त चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर भक्त को दीपक जलाकर गणेशजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: इस मंत्र का जाप कम सेकम 108 बार करना चाहिए। भगवान दूर्वा चढ़ाएं और कर्पूर जलाकर आरती करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *