New Delhi : भारत और चीन विवाद ने विदेशी मीडिया में सुर्खियां बटोरी हैं। आज ताइवान टाइम्स ने लिखा है- भारत के राम ने चीन के ड्रैगन को सबक सिखाया। ताइवान के एक प्रमुख अखबार ताइवान टाइम्स ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक फोटो को अपनी बेबसाइट पर फोटो ऑफ द डे बताया है। अखबार ने इस फोटो के कैप्शन में लिखा – भारत के राम ने चीन के ड्रैगन को सबक सिखाया।
Photo of the Day: India's Rama takes on China's dragon https://t.co/7jbcXqgmxq pic.twitter.com/hC7DRGCDR2
— Taiwan News (@TaiwanNews886) June 17, 2020
दूसरी तरफ अलजजीरा ने इस विवाद का शीर्षक दिया है- अमेरिकी समर्थन चाहेगा भारत। अल जजीरा के मुताबिक, हालात एक खतरनाक मंजर की तरफ इशारा कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी अमेरिका से मदद और समर्थन चाहेंगे। चीन और अमेरिकी रिश्ते बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि ट्रंप के रूप में मोदी के पास ताकतवर मददगार मौजूद है। अगर दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच अगले कदम पर कोई बातचीत हुई है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिये।
India should curb ‘boycott China’ voices after border clash. Blindly associating border issues with investments and trade is illogical. Both sides need to cherish precious development opportunities amid #COVID19 uncertainty. https://t.co/ZzNJIoh2mx pic.twitter.com/cZLJWHfprk
— Global Times (@globaltimesnews) June 17, 2020
सीएनएन के मुताबिक भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई। दोनों देशों की कोशिश है कि तनाव कम किया जाये। लेकिन, भारत में कुछ लोग चीन को दमदार जवाब देने की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बढ़ रहा है। भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की विशेषज्ञ एलिसा एयर्स ने कहा- कुल मिलाकर यह मुश्किल वक्त है। दोनों देशों के लोगों का रुख आक्रामक है, उन्हें जवाब चाहिये।
Why are China and India fighting over an inhospitable strip of the Himalayas? Analysis by @jgriffiths https://t.co/yQCWbQJBSh pic.twitter.com/gdYNRs9gxy
— CNN (@CNN) June 17, 2020
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में 1975 के बाद दोनों देशों का टकराव हुआ। 1967 के बाद यह सबसे खराब झड़प है। अब दोनों देशों के लोग भी एकजुट हो जायेंगे। वहां पहले ही राष्ट्रवाद के जुनूनी नारे बुलंद थे। एक चीज तो साफ है कि इस तरह की और झड़पों की आशंका है। दोनों देश अपनी-अपनी तरह से एलएसी तय करना चाहेंगे।
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, चीन से कई देश चिंतित हैं। चीन की घुसपैठ का जवाब देने के लिए भारत के पास सीमित विकल्प हैं। मामूली झड़प बड़ी जंग में तब्दील हो सकती है। भारत की कोशिश है कि बातचीत के जरिये चीन को पीछे हटाया जाये और भविष्य में ऐसी किसी घटना से बचा जाये।
Analysis: China and India were both looking to back down from a border crisis. Then soldiers died. https://t.co/oFBA8WiiYL
— The Washington Post (@washingtonpost) June 17, 2020
न्यूयॉर्क पोस्ट में दक्षिण एशियाई विशेषज्ञ माइकल कुग्लीमैन ने लिखा- दोनों देशों के बीच जंग मुश्किल है। दोनों ही इसका भार सहन करने के लिये तैयार नहीं हैं। लेकिन, एक बात साफ है यह तनाव किसी जादू से और जल्द खत्म नहीं होगा। क्योंकि, दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ है। वाशिंगटन एग्जामिनर के जर्नलिस्ट टॉम रोगन ने लिखा- चीनी सेना ने भारत के राष्ट्रवादी शेर को उकसा दिया है। चीन लद्दाख की पुरानी स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। अब मोदी पर दवाब होगा कि वो चीन को वैसा ही जवाब दें, जो उन्होंने फरवरी 2019 में पाकिस्तान को दिया था।