New Delhi : एक डाक्टर के साथ पुलिस का कुछ ऐसा व्यवहार हुआ कि लोगों को समझ में नहीं आया कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया गया। और यह भी समझ से परे था कि डाक्टर भी इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे हैं। अंतत: मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर डाक्टर अपने निलंबन का विरोध कुछ अलग ढंग से कर ही रहे थे तो पुलिस को हाथ बांधकर ले जाना चाहिये था? क्या उनके साथ जानवरों जैसा सुलूक होना चाहिये था।
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के नर्सिपटनम इलाके में एक डॉक्टर खाली बदन बीच सड़क में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें वहां से उठाया और थाना ले गई। मामले में सियासत भी शुरू होने लगी है। नर्सिपटनम सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टरों को सभी सुविधाएं नहीं होने से सरकार से PPE किट और N-95 मास्क मांग की जा रही थी। इस बारे में डॉक्टर सुधाकर ने मीडिया को भी जानकारी दी थी। उसके बाद इस मसले ने काफी सुर्खियां बटोरीं। अस्पताल के अंदरूनी मामले को बाहर बता देने के आरोप में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। जिसके बाद से उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है।
उन्होंने शनिवार को अचानक अपनी कार को सड़क किनारे लगाकर अपनी शर्ट उतार दी। शर्ट को कार में रख कर वह खाली बदन बीच सड़क पर विरोध प्रकट करते हुए सो गये। उन्होंने मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ लगातार अनाप-शनाप नारेबाजी की। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। जब वह नहीं माने तो उनका हाथ पीछे से बांध कर और ऑटो में नीचे बैठाकर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। पुलिस ने उनकी कार को भी जब्त कर लिया। पुलिस आरोप लगा रही है कि जब वह ऐसी हरकत कर रहे थे, तब वह नशे में थे।
लोग पुलिस की हरकत से हैरान है कि एक सीनियर डॉक्टर को इस तरह बांध कर ऑटो में डाल देना क्या सही है? विपक्ष भी इस पर सवाल उठा रहा है। राज्य के पूर्व मंत्री देवीननी उमा ने कहा – इतने बड़े शहर के सरकारी अस्पताल के सीनियर डॉक्टर सुधाकर ने कोरोना संक्रमण से डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जब PPE किट और N-95 मास्क की मांग की थी, तब उन्हें सस्पेंड कर दिया गया, और जब वे सड़क पर विरोध करने आये, तब सरकार के आदेश पर पुलिस ने उनका हाथ पीछे से बांध कर ऑटो में डाल दिया। एक सीनियर डॉक्टर के साथ इस तरह का बर्ताव दुर्भाग्यपूर्ण है।