बेटी को सलाम- चाय का स्टॉल चलाते हैं पिता, बेटी ने वायुसेना में फाइटर पायलट बन जीवन सफल किया

New Delhi : मध्य प्रदेश के नीमच में एक चाय वाले की बेटी ने अपने पिता का ही नहीं बल्कि प्रदेश का नाम रोशन किया है। आंचल गंगवाल नाम है उनका जो एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर बनी हैं। हैदराबाद के डंडीगल में वायु सेना अकादमी में संयुक्त स्नातक दिवस परेड में राष्ट्रपति की पट्टिका पाने वाली फ्लाइंग ऑफिसर आंचल गंगवाल के पिता सुरेश गंगवाल का सीना आज गर्व से फूले नहीं समा रहा। उनकी बेटी ने IAF अकादमी में टॉप किया। आंचल को शनिवार को IAF प्रमुख बीकेएस भदौरिया की मौजूदगी में एक अधिकारी के रूप में कमीशन किया गया।

आंचल गंगवाल साल 2018 में ही उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई जो गरीबी में पढ़ाई करते हैं और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। आंचल का चुनाव उन 22 बच्चों में हुआ जो अब भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग विंग का हिस्सा हैं। 22 बच्चों में कुल पांच लड़कियां थीं। इसके लिये देशभर के करीब 6 लाख बच्चों ने परीक्षा दी थी। लेकिन आंचल ने अपनी मेहनत के दम पर इस परीक्षा को पास कर लिया।
चाय का स्टॉल चलानेवाले की बेटी ने एयरफोर्स में अफसर बनकर अपने मां पिता का नाम रोशन कर दिया है। उनके पिता ने ज़िन्दगी का एक बड़ा समय बदहाली में काट दिया। अभाव में जिंदगी बीती। बच्चों और परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये हर संभव काम किया। आज उसके हर संघर्ष के पसीने की बूंदें किसी मोती से कम नहीं, क्योंकि उनकी बेटी ने उनका नाम रौशन कर दिया।
अब आंचल को लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलेगा। एक अखबार से बात करते हुए आंचल ने बताया- जब मैं 12वीं में थी तो उत्तराखंड में बाढ़ आई थी। इस दौरान सशस्त्र बलों द्वारा जिस तरह रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया गया उससे मैं काफी प्रभावित हुई और फिर मैंने निश्चय किया कि मैं भी वायुसेना ज्वॉइन करूंगी। लेकिन उस समय मेरे परिवार की हालत ठीक नहीं थी। आंचल ने ग्रेजुएशन के दौरान ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी और बाद में व्यापमं के जरिये उनका सलेक्शन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ।
आंचल ने विषम परिस्थितियों को मात देकर यहां तक का सफ़र तय किया है। उनके पिता एमपी के नीमच जिले में टी स्टॉल चलाते हैं। इन सबके बावजूद आंचल ने कभी अपनी किस्मत को नहीं कोसा और मेहनत जारी रखी। आंचल ने वायुसेना में प्रवेश पाने के लिये जी-जान से मेहनत की और आज उन्हें ग्रेजुएशन परेड में प्रशासन शाखा में राष्ट्रपति की पट्टिका प्राप्त हुई।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आंचल ने कहा- जब मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं भारतीय सेना में जाना चाहती हूं, तो वे किसी भी माता-पिता की तरह थोड़े चिंतित हो गये थे, लेकिन उन्होंने कभी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। वास्तव में, वे हमेशा मेरे जीवन के पिलर रहे हैं।

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