New Delhi : मन में अगर चाह हो तो कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता। कहते भी हैं कि जहां चाह है वहीं आस है। और फिर दुष्यंत कुमार की लाइन कोई कैसे भूल सकता है कि एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों। गुंजन द्विवेदी ने भी आसमान में सुराख कर दिया। जी हां, IAS की परीक्षा में सफल रहीं गुंजन द्विवेदी ने एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। गुंजन अपनी पहली दो कोशिशों में भले ही असफल रहीं लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने टॉप 10 में अपनी जगह बनाई है, उन्होंने 9वीं रैंक हासिल की है।
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गुंजन के आईएएस चुने जाने पर परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। वे बताती हैं कि इससे पहले वो प्रिलिम्स भी नहीं निकाल सकी लेकिन गुंजन ने निराश होने की बजाय इसे एक चुनौती के तौर पर लिया और खुद को इसके लिए तैयार करती रहीं। वे पूरी लगन से लगातार कड़ी मेहनत करती रहीं और आखिरकार उनका नाम टॉप 10 शामिल हुआ।
परीक्षा की रणनीति को लेकर गुंजन का कहना है उन्होंने इसकी बुनियादी शुरुआत की, NCERT की सारी किताबों को शुरू से आखिर तक पढ़ा, तमिलनाडु की भी पुस्तकें पढ़ी जिससे उन्हें आर्ट एंड कल्चर से जुड़े टॉपिक्स पर काफी मदद मिली। गुंजन का मानना है कि सिविल सर्विसेज में कामयाबी के लिए मॉक टेस्ट बेहद जरूरी है इससे लगातार बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है और प्रैक्टिस भी होती है।
जहां तक पढ़ाई के घंटों की बात है उसे लेकर गुंजन बताती हैं कि कोई जरूरी नहीं कि आप 18-20 घंटे की पढ़ाई करें, पढ़ाई के 5-6 घंटे भी कम नहीं होते अगर आप पूरी एकाग्रता से नियमित पर लगे रहते हैं।