शुरू नहीं हो पा रहीं फैक्ट्रयां- 4 राज्यों के CM ने योगी-नीतीश से कामगारों को न बुलाने की अपील की

New Delhi : प्रवासी मजदूरों की लंबी लाइन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। लाखों लोग शहर और औद्योगिक क्षेत्रों को छोड़कर कर गांव जा रहे हैं। बिजनेसमैन परेशान हैं कि अगर जब सबकुछ सामान्य होने को होगा तब भी उनका बिजनेस बिना कामगारों के कैसे चलेगा। सो अब कई राज्य नहीं चाहते कि उनके यहां काम करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर अपने घर वापस जायें। पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात कर अपील की है कि वह प्रवासी मजदूरों को वापस ना बुलायें।

ट्रेनों से यूपी बिहार लौटनेवालों का तांता लगा है।

पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों के आर्थिक विकास में इन प्रवासी मजदूरों का बहुत बड़ा योगदान है। कोरोना आपदा और लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों से काम छिन गया और उनके साथ अच्छा सलूक नहीं हुआ। सभी अपने घरों की ओर पलायन करने लगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ने अपने प्रवासी मजदूरों का दिल खोलकर स्वागत किया और उनकी घर वापसी के लिए संसाधनों का भी इंतजाम किया। बिहार को भी मजदूर बुलाने के इंतजाम करने पड़े।
अब सीएम योगी और सीएम नीतीश कुमार के पास चार मुख्यमंत्रियों के फोन आए जिसमें उनको आश्वासन दिया गया कि वह अपने राज्य से आने वाले प्रवासी मजदूरों को वापस ना बुलायें, प्रदेश सरकार मजदूरों का पूरा ध्यान रखेगी और उनको कई तरह की सहायता देना का भी वादा किया है।
बहरहाल प्रवासी मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिये विदेशी ऑर्डर को पूरा करने के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 611 कपड़ा निर्यात यूनिट खोलने का फैसला किया गया है। निर्यात प्रोत्साहन प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने आदेश जारी किया है। करीब 2000 करोड़ रुपये का कपड़े से निर्मित उत्पाद का विदेशी ऑर्डर पूरा किया जायेगा।

स्टेशन के बाहर ट्रेन में बैठने का इंतजार करते हुए मजदूर। डिस्टेन्सिंग और मास्क का पालन कड़ाई से कराया जा रहा है।

इधर लेबर के वापस अपने राज्यों को लौटने के बाद पंजाब की लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ साहिब में इंडस्ट्री पर संकट मंडराने लगा है। करीब 40 हजार मजदूर पहले ही चले गये हैं और 22 हजार ने और रजिस्ट्रेशन करवाया है। उनका मेडिकल किया जायेगा। वहीं, मजदूरों के लौटने के कारण 85 फीसदी इकाइयां अभी तक चालू नहीं हो सकीं। ऐसे में उद्योगपतियों ने सरकार की तरफ से चलाई गई विशेष ट्रेनों के खिलाफ नाराजगी जताई है। कहा-सरकार ने गेहूं का सीजन पूरा तो करवा लिया। जब उद्योगों की बारी आई तो ट्रेनें चलवाकर लेबर को भेजना शुरू कर दिया। पंजाब के मंडी गोबिंदगढ़ के उद्योगपति इंडस्ट्री चलाने को तैयार हैं। लेकिन कामगार ही नहीं हैं।
इसके अलावा भोपाल की महारत्‍‌न कंपनियों की मुश्किल में हैं। क्योंकि 33 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए भी 2000 श्रमिक चाहिए, लेकिन सिर्फ 600 श्रमिक ही मिल रहे हैं। ऐसे में काम प्रभावित हो रहा है।

मजदूरों का पलायन व्यापक पैमाने पर हुआ लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही। सभी अपनी गांव घर गये।

वहीं, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गैर घरेलू (व्यावसायिक), कृषि आधारित उद्योग समेत अन्य औद्योगिक उपभोक्ताओं से डिमांड चार्ज की वसूली तीन महीने के लिए स्थगित कर दी है। स्थगन अवधि (मॉरिटोरियम पीरियड) के बाद ये राशि समान मासिक किस्तों में अगले छह माह के बिजली बिल के साथ जमा की जा सकेगी।

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