ED ने रिया चक्रवर्ती को 7 अगस्त को तलब किया, सम्मन भेजा- सुशांत प्रकरण की सीबीआई जांच की अधिसूचना

New Delhi : सुशांत सिंह राजपूत मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिया चक्रवर्ती को सम्मन जारी किया है। इसके लिये ईडी ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। ईडी ने रिया चक्रवर्ती को उसके मुंबई स्थित पुराने पते और ईमेल के जरिये सम्मन भेजा है। ईडी की मुंबई ब्रांच रिया से तीन चरणों में पूछताछ करेगी। जिसको लेकर ईडी ने बाकायदा सवालों की लिस्ट तैयार की है। इसमें पहले चरण में व्यक्तिगत जानकारियां मांगी जायेंगी। इसके अलावा केंद्रीय गृह एवं कार्मिक मंत्रालय ने सुशांत प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की नोटिफिकेशन जारी कर दी है।

ईडी ने हाल ही सुशांत के अकाउंट से कुछ ही महीनों में 24 करोड़ से अधिक की निकासी मामले में मामला दर्ज किया था। ईडी पीएमएलए एक्ट के तहत मामलों की जांच पड़ताल करेगी। ईडी देखेगी कि कहीं मनी लॉन्ड्रिंग का केस तो नहीं बनता है। बिहार पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो पाया कि सुशांत ने चार साल में 55 करोड़ से अधिक की कमाई की और इस कमाई का एक बड़ा हिस्सा रिया चक्रवर्ती और उसके भाई ने खर्च किया।
इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत मामले में पटना में दर्ज एफआईआर को मुम्बई स्थानान्तरित करने की रिया चक्रवर्ती की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया- बिहार सरकार के सीबीआई जांच के अनुरोध को केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सुशांत प्रतिभाशाली कलाकार थे। इस सेन्सेटिव मामले में बिहार के IPS को क्वारैंटाइन करने से अच्छा संदेश नहीं गया। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया – केंद्र ने मामले की सीबीआई जांच के लिये बिहार सरकार की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। रिया चक्रवर्ती की ओर से अपील करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि – हम बिहार पुलिस की कार्रवाई को लेकर पहले से आशंकित थे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रॉय ने कहा – सुशांत सिंह राजपूत एक प्रतिभाशाली कलाकार थे। उनकी असामान्य परिस्थितियों में जान गई। क्या इसमें आपराध हुआ है? इसकी जांच की ही जानी चाहिये। इस तरह के हाई प्रोफाइल सेन्सेटिव मामलों में सबके पास अपनी राय होती है। लेकिन हम कानून से चलेंगे।

 

सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा- बिहार पुलिस की जांच में मुम्बई पुलिस का रोल सबने देखा। मामले में साक्ष्य नष्ट किये जा रहे हैं। IPS को क्वारैंटाइन कर दिया गया।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा – प्राथमिकी दर्ज करने के लिये पटना पुलिस की कार्रवाई का कोई कारण नहीं है। पटना में कुछ भी नहीं हुआ है। यह एक पॉलिटिकल मामला है। इस पर अदालत ने पूछा- क्या मुंबई पुलिस ने इस मामले में सभी पहलुओं को शामिल किया था। IPS को क्वारैंटाइन करने से अच्छा संदेश नहीं गया। खास कर तब जब मामले ने मीडिया ने ध्यान आकर्षित किया है। महाराष्ट्र सरकार को सुनिश्चित करना है कि सब कुछ पेशेवर तरीके से किया जाये।

अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा – पूरे बॉलीवुड फिल्म जगत को मुंबई पुलिस द्वारा पूछताछ और रिकॉर्डिंग के लिये बुलाया गया है। लेकिन, जिस व्यक्ति ने सुशांत सिंह राजपूत के शरीर को पंखे से नीचे उतारा, उसे हैदराबाद जाने की अनुमति दी गयी। सॉलिसीटर जनरल मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह मामले में यूनियन ऑफ इंडिया को एक पार्टी के रूप में जोड़े। इस पर अदालत ने केंद्र से कहा कि वह एक याचिका दायर करे। अदालत ने कहा – याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये गये हैं। अदालत ने सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया।

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