New Delhi : राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने देश में कथित आतंकवादी गतिविधियों के लिये सोमवार को जम्मू और कश्मीर पुलिस के निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह सहित छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। देविंदर सिंह नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए संपर्क में था। पाकिस्तानी अधिकारी संवेदनशील जानकारी हासिल करने के लिए देविंदर सिंह को तैयार कर रहे थे।
देविंदर लगातार सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये संदिग्ध लोगों से बातचीत करता था। देविंदर को 11 जनवरी 2020 को आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने जनवरी 2020 में देविंदर को नवीद बाबू और दो अन्य आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया था। 6 महीने बाद एनआईए ने अपनी चार्जशीट पेश की है। देविंदर ने नवीद बाबू, इरफान शफी मीर, इरफान अहमद के लिये जम्मू में ठिकाने का इंतजाम किया था।
देविंदर ने हिजबुल के इन आतंकियों के आने-जाने के लिये अपने वाहन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा उन्हें हथियार देने का भी वादा किया था। देविंदर पाकिस्तानी हाईकमीशन के कुछ अधिकारियों से सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार बातचीत करता था। सभी आरोपी हाईकमीशन में असिस्टेंट के तौर पर काम करने वाले शफाकत के लगातार संपर्क में थे, जो हवाला लेनदेन, टेरर फंडिंग और आतंकियों की भर्ती में शामिल था। देविंदर को खुफिया सूचनाएं देने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने तैयार कर लिया था।
पूर्व कॉन्स्टेबल नवीद बाबू जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद कई हत्याओं में शामिल था। वह भोलेभाले मुस्लिम युवाओं को हिजबुल में शामिल करता था। उसे एलओसी ट्रेडर तनवीर अहम वंत से फंडिंग मिलती थी। तनवीर उसे पीओके स्थित व्यापारियों की मदद से फंड मुहैया करवाता था।
नवीद बाबू सीमा पार से हथियार तस्करों की मदद से असलहा हासिल करता था। इसके अलावा देविंदर भी उसके हथियारों का इंतजाम करता था। इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जाता था।
सभी आरोपी पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी एजेंसियों के साथ मिलकर भारत में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। हिजबुल के सरगना सैयद सलाहुद्दीन और उसे डिप्टी कमांडर जम्मू स्थित आतंकी कमांडरों को मदद करते थे। एक अन्य आरोपी इरफान शफी मीर ने पाकिस्तान में हिजबुल के टॉप कमांडरों से मुलाकात की थी। इसके अलावा वो आईएसआई के उमर चीमा, अहसान चौधरी और सुहैल अब्बास से भी मिला।
इरफान को जिम्मेदारी दी गई थी कि वो हवाला लेनदेन के लिए नए चैनल एक्टिवेट करे ताकि कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग की जा सके। मीर के साथ पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारी भी संपर्क में थे। वे मीर को फंड मुहैया करवाते थे ताकि भारत सरकार के खिलाफ सेमीनार करवाए जा सकें और भीड़ इकट्ठा की जा सके। मीर को पैसा और आदेश हाईकमीशन ही देता था। मीर के जरिए ही कई कश्मीरियों को वीजा पर पाकिस्तान भी भेजा गया।