पीयो और इम्युनिटी बढ़ाओ : नर्मदा का पानी मिनरल वाटर से भी बढ़िया

New Delhi : लॉकडाउन में सबकुछ बंद है और इसका सीधा असर जलवायु पर पड़ा है। नदियां साफ हो गईं हैं। गंगा, यमुना और नर्मदा समेत कई नदियों का पानी स्वच्छ होने लगा है। एक माह पहले तक अनेक हिस्सों में मटमैली दिखने वाली नर्मदा का पानी इन दिनों मिनरल वॉटर जैसा दिखाई दे रहा है। नर्मदा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ओंकारेश्वर (मप्र) के प्रबंधक एसके व्यास ने बताया कि नर्मदा जल का मानक मिनरल वॉटर जैसा हो गया है। हमारे विभाग द्वारा इसकी जांच भी की गई है। नर्मदा के जल में कई तरह की औषधियां, जड़ी-बूटियां भी समाहित होती हैं। इसे पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


तीर्थनगरी के विद्वान और वरिष्ठ आचार्य सुभाष महाराज वेदमाता गायत्री मंदिर ने बताया कि ओंकारेश्वर में 25 साल पहले नर्मदा का जल ऐसा ही शुद्ध था। मालूम हो, ओंकारेश्वर में आम दिनों में 5 हजार जबकि त्योहारों पर 2 लाख तीर्थ यात्री पहुंचते हैं।
नर्मदा जल का टीडीएस पहले 126 मिलीग्राम/लीटर नापा गया, जो घटकर 100 से भी कम हो गया है। मिनरल वॉटर का टीडीएस 55 से 60 मिलीग्राम/लीटर मेंटेन करना होता है। पानी हल्का हरा दिखाई देने का मतलब यह है कि पानी की टर्बिडिटी 10 एनटीयू से भी कम है। पारदर्शिता भी बहुत बढ़ गई है। वर्तमान समय में दस फीट की गहराई तक साफ पानी दिखाई दे रहा है।
इधर गंगा हरी-नीली, साफ, निर्जल नदी में तब्दील हो गई। इतनी साफ कि सदियों में किसी ने गंगा को इतना साफ नहीं देखा। यमुना के भी साफ हो जाने की खबरें आईं। तस्वीरें भी। जलंधर में हवा इतनी साफ हो गई कि 250 किलोमीटर दूर हिमाचल के बर्फ से ढंके पहाड़ नजर आने लगे हैं। साठ के दशक के बाद ऐसा नजारा नजर आया। दिल्ली के आसमान लोगों को नीला दिखने लगा। सालों बाद आसमान पूरी तरह से साफ दिखने लगा। और वायु का स्तर बेहतरीन हो गया। अब इसको बरकरार कैसे रखा जायेगा। लॉकडाउन के बाद सरकार को इस पर विचार करना चाहिये। रास्ते निकालने चाहिये।

हरिद्वार में हरि की पौड़ी पर साफ और निर्मल गंगा। देखते ही बन रही है।

अभी से कड़ाई करने चाहिये नियमों पर ताकि लॉकडाउन के बाद जब सामान्य परिस्थितियों में फैक्ट्री के कामकाज शुरू हों, लोगों की गतिविधियां शुरू हों तो प्रदूषण नियंत्रण में रहे। ऐसा किया भी जा सकता है। हो सकता है कि केंद्र सरकार और राज्यों को कुछ कड़े कानून बनाने पड़े। लेकिन इससे हजारों करोड़ रुपये नदियों पर खर्च करने और शहरों में वायु प्रदूषण को समाप्त करने की अरबों खरबों की योजनाओं से छुटकारा भी मिल जायेगा। हो सकता है इस बार लोग खुद नियमों का पालन कड़ाई से करें क्योंकि सारे बदलाव लोग देख रहे हैं। युवा प्रदूषण स्तर गिरने से उत्साहित हैं। इसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *