सपनों की उड़ान : मिलिये उस मां से जो अपने जिगड़ के टुकड़े को सीने से लगाये बन गईं IAS टॉपर

New Delhi : भारतीय समाज में ज्यादातर लड़कियों को शादी तक ही सीमित माना जता है। अगर कुछ करना है, कुछ सपने पूरे करने हैं, तो कहा जाता है शादी से पहले उन्हें पूरा कर लो बाद में तो घर की गृहस्थी ही संभालनी होती है। इस डर से या तो लड़कियां शादी होने पहले ही अपने लिए जीना शुरू करती हैं या फिर कुछ सपनों को पूरा करने के लिए अपने मां-बाप से थोड़ा वक्त मांगती है। लेकिन चंडीगढ़ की अन्नू कुमारी ने इन मान्यताओं को अपने जज्बे और मेहनत के दम पर गलत साबित कर दिया।

अन्नू ने बचपन से सपना देखा था कि उसे आईएएस अधिकारी बनना है। लेकिन सपना पूरा होता इससे पहले ही शादी हो गई। लेकिन अन्नू ने हौसलों को पस्त नहीं होने दिया। शादी के बाद भी वो अपने सपने को भूली नहीं और मां बनने के बाद इसे कड़ी मेहनत कर न सिर्फ पूरा किया बल्कि वो टॉपर बनकर आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गईं हैं।
हरियाणा के सोनीपत में एक साधारण परिवार में जन्मी अन्नू पढ़ने में काफी अव्वल थीं। परिवार वालों ने अन्नू की पढ़ाई के प्रति रुचि देखते हुए उन्हें पढ़ाया। लेकिन अन्नू अपने मायके में रहते हुए जो सपना पूरा नहीं कर पाईं उसे उन्होंने ससुराल में जाकर पूरा किया। अन्नू ने 2017 की यूपीएससी परीक्षा में पूरे देश में दूसरा स्थान लाकर सबको चौंका दिया।

जब उन्होंने टॉप किया तो वो 4 साल के बेटे की मां थीं। घर गृहस्थी और बेटे की जिम्मेदारी को संभालते हुए देश की सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा में दूसरे स्थान पर आना किसी के लिए आसान नहीं है। उनके इस जज्बे को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी सलाम किया। अन्नू मीडिया में कई दिनों तक छाईं रहीं।
अन्नू ने सांइस स्ट्रीम से बारहवीं पास कर दिल्ली के जाने माने हिंदू कॉलेज से फिजिक्स में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने आईएमटी नागपुर से एमबीए किया और कुछ दिन गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी भी की। हालांकि, उनका लक्ष्य सिविल सेवा में जाना था लेकिन वो पूरा होता उससे पहले उनकी शादी हो गई। अन्नू ऐसे क्षेत्र से आती हैं जहां लड़कियों की शादी का मतलब घर का चूल्हा-चौका और बाल बच्चे संभालना ही होता है। लेकिन अन्नू ने हार नहीं मानी और शादी के बाद भी घर का काम निपटाने के बाद वो 5-6 घंटे पढ़ाई करती।

उनकी मेहनत को देख अन्नू के पति समेत पूरे ससुराल ने उनके सपने को पूरा करने में उनका साथ दिया। इसके बाद अन्नू ने तैयारी के लिए खुद को पूरा समर्पित कर दिया। अन्नू ने अपने बेटे को डेढ़ साल तक खुद से दूर अपने माता-पिता के पास भेज दिया था और खुद अपनी मौसी के यहां जाकर पढ़ाई करने लगीं। इस दौरान उनके ससुराल वालों ने भी उनका हौसला बढ़ाया। अन्नू ने बताया कि इस दौरान वो 8 से 12 घंटे पढ़ाई करतीं थीं। उनकी मेहनत 2017 की परीक्षा में सफल रही जिसमें उन्होंने एक से एक धुरंधरों को पछाड़ते हुए पूरे देश में दूसरी रैंक पाई।

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