रक्षा मंत्री ने सीडीएस, सेना प्रमुखों संग रणनीति बनाई- चीन की टेंशन को अटेंशन से काटेंगे, बराबरी की सेना

New Delhi : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ बैठक की। बैठक में मौजूदा लद्दाख तनाव की समीक्षा की। चीन तनाव को खत्म करने की बातें कर रहा है तो दूसरी तरफ सिक्किम से लद्दाख तक उसने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। रक्षा मंत्री ने दोनों पक्षों के कमांडरों की हाल की बैठकों के बाद किये गये नये आंकलन की जमीनी स्थिति पर चर्चा की। चीनी और भारतीय सेनाओं ने विवादित क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस हटा लिया है, लेकिन दोनों सेनाओं की अभी भी इस क्षेत्र में काफी उपस्थिति है।

दोनों देशों में बातचीत चलने के बावजूद, भारत ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे लगभग सभी संवेदनशील पोस्ट पर और सैनिकों की तैनाती की है। चीन के समान सैन्य ताकत को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।
सूत्रों ने बताया – दोनों पक्षों का पैंगोंग और पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आमने सामने का टकराव जारी है। सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को दावा किया – दोनों देशों की सेनाओं ने गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में गश्ती प्वांइट 14 और 15 पर पीछे हटना शुरू किया है और चीनी पक्ष दो क्षेत्रों में 1.5 किलोमीटर पीछे हटे हैं। भारत और चीनी सेना 5 मई से आमने सामने है।
बहरहाल, इस पर अबतक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। बुधवार को दोनों पक्षों ने क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए मेजर जनरल स्तर की वार्ता की है। सूत्रों ने बताया कि साढ़े चार घंटे लंबी चली बातचीत में भारतीय शिष्टमंडल ने पूर्ण यथास्थिति को बहाल करने और तत्काल प्रभाव से उन इलाकों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया, जिन्हें भारत एलएसी पर अपना मानता है।
भारत और चीन के बीच पिछले महीने गतिरोध की शुरुआत हुई थी। पूर्वी लद्दाख में 5 और 6 मई को दोनों देशों के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 9 मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी।

चीन के सैनिकों ने लद्दाख में कई पॉइंट्स पर आक्रामक रुख अपनाया जिसका जवाब भारत को देना पड़ा। फिर भारत ने फैसला किया कि पैंगोंग सो, गलवान वैली, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे सभी विवादित जगहों पर चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारतीय सैनिक मजबूत रुख अपनायेंगे। सैटलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने एलएसी से सटे इलाकों में बड़े पैमाने पर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है।

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