New Delhi : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शॉपिंग मॉल्स आठ जून से खोलने की इजाजत दी गई थी। सरकार से मिली इस अनुमति के बाद सुरक्षा इंतजामों के साथ शॉपिंग मॉल खोल भी दिये गये, लेकिन इन मॉल्स में अभी भी ग्राहक नहीं लौटे हैं। कई मॉल्स में तो सिर्फ 20 से 25 प्रतिशत ग्राहक ही पहुंच रहे हैं। पूर्वी दिल्ली स्थित एक मॉल में महिला परिधानों का शोरूम चलाने वाली ललिता शर्मा ने कहा- यहां गिने-चुने ग्राहक ही आ रहे हैं। पहले हमारे यहां पांच लोग काम करते थे। अब इनमें से सिर्फ दो बचे हैं। लेकिन दुकान पर मौजूद इन दोनों कर्मचारियों को भी दिनभर खाली ही बैठना पड़ता है।
Even though it has been three weeks since the shopping malls across #Delhi were allowed to reopen in the wake of the nationwide #lockdown, prospective customers are yet to return to do shopping, with customer footfall as low as 25 per cent of the normal.
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— IANS Tweets (@ians_india) June 29, 2020
शर्मा ने कहा- लॉकडाउन से पहले हम 90 हजार रुपये महीना शोरूम का किराया देते थे। अब इतना किराया चुका पाना संभव नहीं है। फिलहाल हम अपनी कुल आमदनी का 50 फीसदी किराये के रूप में देंगे।
दक्षिण दिल्ली स्थित एक मॉल में डिजिटल कैमरे का शोरूम चलाने वाले राजेश कश्यप ने कहा- दिल्ली में लोग बड़ी तादाद में कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। यही कारण है कि लोग अभी भी खरीदारी के लिए बाहर निकलने से डर रहे हैं। हम प्रतिदिन शोरूम खोलने से पहले पूरे इलाके को सैनिटाइज करवाते हैं। अभी तो हम शोरूम का किराया दे पाने में भी सक्षम नहीं हैं। हमने किराया कम करने की मांग की है। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर शोरूम खाली करने के अलावा हमारे पास और कोई विकल्प नहीं बचेगा।
पश्चिमी दिल्ली स्थित राजौरी गार्डन के एक शॉपिंग मॉल में कांच का सजावटी सामान बेचने वाले पीसी जैन ने कहा- फिलहाल व्यापारी बस दुकान खोलने के लिए मॉल में आ रहे हैं। अधिकांश लोग अभी भी केवल आवश्यक वस्तुओं की ही खरीदारी कर रहे हैं।
जैन ने कहा- मॉल्स को लेकर हुए एक सवेर् के मुताबिक मॉल्स में स्थित रेस्टोरेंट की बिक्री 70 फीसदी गिर गई है। कपड़े और परिधान की खुदरा बिक्री 69 फीसदी और घड़ी और अन्य व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं का कारोबार 75 फीसदी तक नीचे आ गया है। ऐसे में हालत यह है कि एक ओर तो शोरूम मालिक किराए के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। वहीं शोरूम चलाने वाले दुकानदारों के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं।