New Delhi : अमेरिकी प्रशासन ने चीन से अरबों डॉलर के अमेरिकी पेंशन फंड निवेश को वापस लेने का फैसला किया है। कोरोना आपदा में अमेरिका और चीन के कूटनीतिक संबंध बेहद बुरे दौरे से गुजर रहे हैं। कोरोना के साथ-साथ दोनों के बीच साउथ चाइना सी में भी तनातनी देखी जा रही है। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और रिसर्च वर्क की चोरी की है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा – चीन से सभी तरह के रिश्ते खत्म कर लेंगे। अब उनसे बात करने की भी स्थिति नहीं।
As I have said for a long time, dealing with China is a very expensive thing to do. We just made a great Trade Deal, the ink was barely dry, and the World was hit by the Plague from China. 100 Trade Deals wouldn’t make up the difference – and all those innocent lives lost!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 13, 2020
जब चीन से निवेश वापसी को लेकर सवाल पूछा गया तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को फॉक्स बिजनेस से बातचीत में कहा – अरबों डॉलर, अरबों, हां, मैंने वापस ले लिया है। वहीं, जब राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैसडैक में सूचीबद्ध होने की शर्त पूरा करने का दबाव चीनी कंपनियों पर डालेंगे? उन्होंने कहा – हम बहुत गंभीरता से देख रहे हैं। यह बेहद हैरान करने वाला है लेकिन इसके साथ दिक्कत है। वे क्या करने जा रहे हैं? वे अपनी कंपनियों को लंदन या कहीं और लिस्ट करेंगे, आप देखिये। ट्रंप ने आगे कहा – आपको पता है कि हर कोई सख्त इंसान बनना चाहता है। मैं बेहद सख्त इंसान हूं लेकिन क्या होता है न, वे कहते हैं कि ठीक है हम लंदन या फिर हॉन्ग कॉन्ग चले जायेंगे। ट्रंप ने यह बात चीनी कंपनियों के अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के संबंध में कही।
इस बीच, चीन उन अमेरिकी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार कर रहा है जिन्होंने सीनेट में कोरोना वायरस से निपटने के मुद्दे पर पेइचिंग के खिलाफ प्रतिबंद्ध का प्रस्ताव पेश किया है। कांग्रेस के जिम बैंक्स ने कहा – चीन सरकार उनपर गुस्सा उतार रही है जिन्होंने कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारी देने के मामले में उन्हें जवाबदेह बनाने की कोशिश की है, यह कहां से फैला और कितनी जल्दी यह नियंत्रण से बाहर हो गया।