CM योगी बोले- सत्यमेव जयते, झूठे केस के लिये माफी मांगे कांग्रेस, संबित की हुंकार- जय श्रीराम

New Delhi : भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने बाबरी केस में सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया ट‍्वीट कर कहा- जय श्रीराम। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट‍्वीट किया- सत्यमेव जयते! रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सत्य की जीत हुई है तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन सत्य को पराजित नहीं किया जा सकता है। इस बीच लगातार न्यायालयों को उनके कामकाज के लिये चुनौती दे रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा- वहां कोई मस्जिद था ही नहीं, यही है न्यू इंडिया का न्याय।

बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने आज बुधवार 30 सितंबर को बाबरी केस के सभी आरोपियों को आरोपों से बरी करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस प्रमाण, साक्ष्य नहीं मिला जिससे पता चले कि बाबरी को सुनियोजित, पूर्वनियोजित ढंग से षड‍्यंत्र करके तोड़ा गया हो। ऐसे में आरोपियों पर कोई आरोप नहीं बनता और सबको इस मामले के आरोपों से बरी किया जाता है। अदालत के इस आदेश से 28 साल से जारी संघर्ष का पटाक्षेप हो गया है। अदालत ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट‍्वीट किया- सत्यमेव जयते! CBI की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, @BJP4India नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र के लिये इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिये। दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान ने ट‍्वीट किया- सत्य परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। आज एक बार फिर सत्य की जीत हुई है! भारतीय न्यायपालिका की जय!
28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को तोड़ डाला गया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर पर इसके तोड़ने का षडयंत्र रचने और पूर्वनियोजित ढंग से इसे तुड़वाने का आरोप लगा था। इस घटना ने भारतीय समाज और भारतीय इतिहास का रुख ही मोड़ दिया।
जज एसके यादव ने आज फैसला सुनाते हुये कहा कि तस्वीरों के आधार पर यह कतई साबित नहीं किया जा सकता है कि सभी नेतागण इसको तोड‍़ने की साजिश रच रहे थे। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह पुख्ता हो सके कि बाबरी को तोड़ने की साजिश रची गई। 6 दिसंबर 1992 के 10 दिन बाद केंद्र सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन कर दिया, जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन आयोग की जांच पूरी होने में 17 साल लग गये। घटना के सात दिन बाद ही मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था।

साल 2007 में ट्रायल शुरू हुआ और पहली गवाही हुई। दो अलग-अलग मामलों में कुल 994 गवाहों की लिस्ट थी, जिसमें से 351 की गवाही हुई। इसमें 198/92 मुकदमा संख्या में 57 गवाहियां हुईं, जबकि मुकदमा संख्या 197/92 में 294 गवाह पेश हुये। बाकी गवाह या तो नहीं रहे या फिर किसी का एड्रेस गलत था तो कोई अपने पते पर नहीं मिला।

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