New Delhi : भारत-चीन सीमा विवाद अब बड़े तनाव में तब्दील होता जा रहा है। सोमवार रात लद्दाख की गालवन वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। इसमें भारत के इन्फैंट्री बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गये। इस झड़प में तीन चीनी सैनिक की भी जान गई। भारत-चीन सीमा पर 45 साल यानी 1975 के बाद ऐसे हालात बने हैं, जब भारत के जवानों की शहादत हुई है। इस बार कोई गोली नहीं चली। सैनिकों के बीच पथराव हुआ। डंडों से एक-दूसरे से लड़ाई की।
Major Generals of India and China are talking to defuse the situation in the Galwan Valley, Ladakh and other areas after the violent face-off last night in which casualties have been suffered by both sides: Army Sources pic.twitter.com/yDyiluagMD
— ANI (@ANI) June 16, 2020
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है – भारत एकतरफा कार्रवाई न करे, नहीं तो मुश्किलें बढ़ेंगी। चीन के सरकारी कंट्रोलवाली अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया – बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच रजामंदी बनी थी, लेकिन भारतीय जवानों ने इसे तोड़ दिया और बॉर्डर क्रॉस किया। इसके बाद चीन के सैनिकों पर हमला किया। इसी वजह से झड़प हुई।
आर्मी की तरफ से जारी बयान में कहा गया- कल यानी सोमवार रात को गालवन वैली में डी-एक्स्केलेशन प्रोसेस चल रही थी, लेकिन तभी झड़प हो गई। हमारे एक अफसर और दो जवान शहीद हो गये। अभी दोनों देशों की सेनाओं के सीनियर ऑफिसर तनाव कम करने के लिए मौके पर ही मीटिंग कर रहे हैं। थोड़ी देर बाद सेना ने दोबारा बयान जारी कर कहा – झड़प में दोनों तरफ के सैनिकों की जान गई है। सेना के सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच अब मेजर जनरल लेवल की बातचीत चल रही है।
China and Indian side agreed to resolve the bilateral issues through dialogue to ease the border situation and maintain peace and tranquility in border areas, China's Global Times quotes their Foreign Minister
— ANI (@ANI) June 16, 2020
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के चीफ और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मीटिंग की। इससे पहले 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर एम्बुश लगाकर हमला किया गया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुये थे।
दोनों देशों के बीच 41 दिन से सीमा पर तनाव है। इसकी शुरुआत 5 मई से हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में ही चार बार बातचीत हो चुकी है। बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के बीच रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाये या डी-एक्स्केलेशन किया जाये। डी-एक्स्केलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।
China and Indian side agreed to resolve the bilateral issues through dialogue to ease the border situation and maintain peace and tranquility in border areas: Chinese FM https://t.co/2cuo0TEpzd
— Global Times (@globaltimesnews) June 16, 2020
#China has lodged solemn representations with the Indian side and urged it to strictly restrain its frontline troops from crossing the border or taking any unilateral action that may complicate the border situation: Chinese FM https://t.co/2cuo0TEpzd
— Global Times (@globaltimesnews) June 16, 2020
पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया बताते हैं – दोनों ओर के सैनिकों के बीच ये हिंसक झड़प और उसमें एक कर्नल और दो जवानों की शहादत बेहद चिंता की बात है। दोनों ही पक्षों को आपस में मिल-बैठकर हालात को तुरंत काबू में लाना होगा। यह हिंसक झड़प बताती है कि हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इसे हल्के में न लिया जाये।