New Delhi : Corona के दौरान चीनी निवेश और भारतीयों कंपनियों के टेकओवर को रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए FDI नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी का अधिग्रहण और विलय नहीं कर सकेगी। कोरोना संकट के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गहरा धक्का लगा है। ऐसे में भारतीय कंपनियों का वैल्युएशन काफी गिर गया है। सरकार को लगता है कि कोई विदेशी कंपनी इस मौके का फायदा उठाते हुए मौकापरस्त तरीके से किसी देसी कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है और उसे उसे खरीद सकती है।
लेकिन सरकार ने नियमों को सख्त करते हुए ये स्पष्ट कर दिया है कि जो भी देश भारतीय सीमा से सटे हैं वो सरकार से इजाजत के बाद ही ऐसा कर सकेंगे। दरअसल सरकार को लगता है चीनी कंपनिया भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण या खरीदने की फिराक में हैं इसलिए सरकार ने ये कदम उठाया है। चीनी कंपनियों को इस तरह के कदम से रोकने के लिए कई अन्य देश पहले ही नियमों को कड़ा कर चुके हैं। इटली, स्पेन और जर्मनी ने भी अपने एफडीआई नियमों में बदलाव किया है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग का कहना है – भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं। भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, ऐसे निवेश के लिये भी सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिये यह कदम उठाया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवेशकों पर यह शर्त पहले से लागू है।
इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत की सीमाओं से लगे देशों से निवेश संबंधी नियमों में संशोधन किए जाने के बाद शनिवार को कहा कि उनकी बात का संज्ञान लेने के लिए वह नरेंद्र मोदी सरकार का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने गत रविवार को किये गए अपने एक ट्वीट का हवाला देते हुए कहा – मेरी ओर से आगाह किये जाने का संज्ञान लेने और एफडीआई के कुछ विशेष मामलों में सरकार की अनुमति अनिवार्य बनाने की खातिर नियमों में संशोधन करने के लिए सरकार का धन्यवाद करता हूं।