New Delhi : 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ तनातनी में चीन के करीब 43 सैनिकों ने जान गंवाई थी। भारत ने अपने 20 शहीद सैनिकों की जानकारी दी। लेकिन, चीन ने सैनिकों की संख्या पर एक शब्द नहीं कहा। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है – चीन को इस बात का डर सता रहा है कि अगर उसने मारे गये सैनिकों की संख्या कबूली तो देश में विद्रोह हो जायेगा।
चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता के बेटे जियानिल यांग ने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे आर्टिकल में यह दावा किया – कई पूर्व सैनिक और अफसर शी जिनपिंग सरकार के रवैये से बेहद दुखी हैं। जियानिल सिटीजन पॉवर इनिसिएटिव फॉर चाइना के फाउंडर चेयरमैन हैं। उन्होंने लिखा- सरकार को डर है कि अगर चीन के लोगों को पता चला कि भारत की तुलना में उसके ज्यादा सैनिकों की जान गई है तो विद्रोह हो जायेगा।
The loss of Chinese internet company ByteDance – mother company of Tik Tok — could be as high as $6 billion after Indian government banned 59 Chinese apps including #TikTok, following deadly border clash between Indian and Chinese troops last month: source https://t.co/4nyXX8iP5Z pic.twitter.com/RyghiI05iS
— Global Times (@globaltimesnews) July 1, 2020
गलवान झड़प के बाद भारत ने अपने जवानों की शहादद का सम्मान किया, जबकि दो हफ्ते बाद भी चीन ने अपने सैनिकों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया। चीन को डर है कि संख्या बताई तो लोग सरकार के खिलाफ खड़े हो जायेंगे। पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लंबे समय से कम्युनिस्ट पार्टी का मजबूत पिलर रही है। स्थिति कुछ समय में बदली है। आर्मी के कई रिटायर्ड अफसर शी जिनपिंग ने नाखुश हैं, ऐसे में अगर मौजूदा समय में तैनात सैनिक इनके साथ खड़े होते हैं तो वे एक पॉवरफुल ताकत बन जायेंगे, जो शी जिनपिंग को चुनौती देंगे।
चीन में लगातार पूर्व सैनिकों के विरोध की घटनायें आ रही हैं। यह शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के लिए चिंता का बड़ा कारण है। सीसीपी इनको दबाने के लिए सशस्त्र कार्रवाई करने का जोखिम नहीं उठा सकती है।
चीन ने अपने सैनिकों को लेकर कुछ भी नहीं नहीं कहा। हालांकि, चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा – दोनों देशों के बीच संघर्ष को कम करने के लिये चीन अपने सैनिकों की संख्या नहीं बतायेगा। ऐसा करने पर दोनों देशों के बीच तुलना शुरू हो जायेगी और सरकार पर दबाव बनेगा। ग्लोबल टाइम्स ने कहा था – यह संख्या 20 से कम है।