New Delhi : सेना के इंजिनीयर्स ने 60 मीटर लंबे उस पुल का निर्माण पूरा कर लिया है, जिसे चीन रोकना चाहता था। गलवान नदी पर बने इस पुल से संवेदनशील सेक्टर में भारत की स्थिति बेहद मजबूत हो गई है। इस पुल की मदद से अब सैनिक नदी वाहनों के साथ आरपार जा सकते हैं। 255 किलोमीटर लंबे स्ट्रैटिजिक डीबीओ रोड की सुरक्षा कर सकते हैं। यह सड़क दरबुक से दौलत बेग ओल्डी में भारत के आखिरी पोस्ट तक जाती है, जो काराकोरम के पास है।
True, Most of the infra projects which never took off started and many completed only after modi came which we cant even imagine in con,3rd fronts. I think part of Galwan valley lies in china too. India went ahead and constructed the bridge on our side https://t.co/rrjir5y5na
— Narasimha Rao (@NarasimhaRao10) June 19, 2020
इस पुल की वजह से भी चीन बौखलाया हुआ है। मई में उसके सैनिकों के बड़ी संख्या में एलएसी पर आने की एक वजह यह पुल भी है। वह इसे नहीं बनने देना चाहता था। क्योंकि वह जानता है कि इस पुल से यहां भारत की स्थिति और भी मजबूत हो गई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया – पुल गुरुवार रात को तैयार हो गया। इससे यह भी पता चलता है कि सीमा पर फॉर्मेशन इंजीनियर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुटे हुए हैं और पीएलए की ओर से काम रुकवाने की तमाम कोशिशों के बावजूद बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का काम जारी रहेगा।
चार मेहराब वाला यह पुल श्योक और गलवान नदी के संगम से तीन किलोमीटर पूर्व में बना है। पट्रोलिंग पॉइंट 14 से 2 किलोमीटर पूर्व। पेट्रोलिंग पॉइंट 14 ही वह स्थान है जहां 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यह Y जंक्शन के नजदीक है, जहां गलवान नाला मुख्य नदी से मिलती है। दोनों नदी के संगम पर भारतीय सेना का बेस कैंप है जिसे ‘120 किमी कैंप’ कहा जाता है यह डीएसडीबीओ रोड के नजदीक ही है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- हमने तनातनी के बाद भी इस पुल पर काम जारी रखा और 15 जून को हिंसक झड़प के बावजूद काम करते रहे। चीन अब पूरी गलवान घाटी पर अपना दावा बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है, वह श्योक नदी तक भारत के दावे को कम करना चाहता है। यदि यह हो जाता तो चीन युद्ध की स्थिति में डीएसडीबीओ रोड को काट सकता था। इससे उसे पाकिस्तान के लिए मुर्गो से होकर रास्ता खोलने का मौका मिल जाएगा, यह बीडीओ से पहले आखिरी भारतीय गांव है।
THE BUILDING of BRIDGE over the GALWAN RIVER seen as a STRATEGIC MOVE by INDIA
WHICH TRIGGERED the EXPANSIONIST moves by the CHINESE ARMY THAT RESULTED in the STANDOFF between the ARMIES of the TWO COUNTRIES before the PLA made an INFLATED CLAIM over ENTIRE GALWAN VALLEY REGION pic.twitter.com/XDwSRHxHHp
— BHARATH KUMAR IPS (SEWAK) (@INDIANPUBLICSER) June 19, 2020
कंक्रीट के पिलर्स पर बना यह बेली ब्रिज भारत के लिए सैन्य आवाजाही में बहुत कारगर होगा और यह भारत के रणनीतिक हितों की सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है। भारतीय सेना के वाहन अब गलवान रिवर के पार जा सकते हैं, पीएलए के अधिक आक्रामक होने की स्थिति में भारत के लिए अच्छा सैन्य विकल्प मौजूद होगा। अभी तक यहां एक फुटब्रिज ही हुआ करता था।