चीन को समझ आती है नये इंडिया की भाषा – शांति से कूटनीतिक हल निकालने पर सहमत हुआ चीन

New Delhi : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव को लेकर हुई दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को बयान जारी किया। सरकार ने कहा है- सीमावर्ती क्षेत्रों में ​स्थिति का हल निकालने और शांति सुनिश्चित करने और लिये दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक तौर पर जुड़े रहेंगे। सरकार के इस बयान से साफ है कि सीमा पर बेवजह तनाव पैदा कर रहे चीन को शांति की भाषा समझ आने लगी है। दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडर लेवल की बातचीत बेहद शांतिपूर्ण और गर्मजोशी से भरे माहौल में हुई।
चुशुल-मोल्दो क्षेत्र में शनिवार को हुई बैठक पर विदेश मंत्रालय ने कहा – दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्वक हल निकालने के लिए सहमत हुये हैं। यह फैसला विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और नेताओं के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुये लिया गया है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। चीन की सीमा के अंतर्गत मोलडो चुशुल में हुई बातचीत करीब साढ़े पांच घंटे चली। दोनों पक्षों ने अपनी मांग एक दूसरे के सामने रखी।

 

इस बातचीत में भारत ने दो टूक कहा – अप्रैल 2020 की स्थिति सीमा पर कायम हो। वार्ता के दौरान भारत ने चीनी सेना से पीछे हटने को भी कहा है। सीमा पर सड़क निर्माण रोकने की चीन की मांग को भी भारत ने खारिज कर दिया है। भारतीय पक्ष की ओर से बातचीत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था।
शनिवार को दोनों देशों की तरफ से हुई लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत से पहले स्थानीय कमांडरों के स्तर पर दोनों सेनाओं के बीच 12 राउंड बातचीत हो चुकी थी। इसके अलावा 3 बार मेजर जनरल लेवल पर भी बातचीत हो चुकी थी। कई दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकलने के बाद इतने बड़े स्तर पर बातचीत का फैसला हुआ। दोनों देशों के बीच पिछले महीने गतिरोध की शुरुआत हुई थी। पूर्वी लद्दाख में 5 और 6 मई को दोनों देशों के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 9 मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी। चीन के सैनिकों ने लद्दाख में कई पॉइंट्स पर आक्रामक रुख अपनाया जिसका जवाब भारत को देना पड़ा।
फिर भारत ने फैसला किया कि पैंगोंग सो, गलवान वैली, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे सभी विवादित जगहों पर चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारतीय सैनिक मजबूत रुख अपनाएंगे। सैटलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने एलएसी से सटे इलाकों में बड़े पैमाने पर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है।

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