चीन है विस्तारवादी- भारत के पक्ष में चीन के खिलाफ अमेरिका में कानूनी संशोधन ध्वनिमत से पास

New Delhi : यूनाइटेड स्टेटस ऑफ अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपनी आक्रामक मुहिम को और अधिक धार दे दिया है। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसने कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारतीय सीमा में घुसपैठ की और जानबूझकर ऐसा किया। चीन की नीयत भारत की जमीन पर कब्जा करना था। यह अनैतिक और अशोभनीय कार्रवाई थी जिसे चीन ने ऐसे समय में अंजाम दिया जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी जैसी आपदा से गुजर रही है।

चीन के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने की दिशा में अमेरिका का यह सबसे मजबूत कदम है। अमेरिका ने चीन की आक्रामकता की आलोचना करते हुय ध्वनिमत से संवैधानिक संशोधन पास किया है। यह फैसला एकमत से हुआ। 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी घटना से लेकर दक्षिण चीन महासागर के मसले को लेकर अमेरिका चीन पर हमलावर है। इसमें चीन के रवैये पर चिंता जताई गई है और आरोप लगाया गया है कि चीन कोरोना का महामारी के बहाने से भारत के क्षेत्र पर कब्जा करना चाहता था।
अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में नैशनल डिफेंस ऑथराइजेशन ऐक्ट में संशोधन पास कर दिया गया है। यह संशोधन भारतीय-अमेरिकी सांसद अमी बेरा और कांग्रेसमेन स्टी शैबट ने इस संशोधन का प्रस्ताव दिया था। संशोधन में कहा गया है – भारत के लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा, चीन महासागर और सेंकाकू टापू विवादित क्षेत्र में चीन का विस्तारवाद और आक्रामकता चिंता का विषय है। अमेरिकी कांग्रेस ने भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीन की आक्रामकता का विरोध किया है और चीन के बढ़ते क्षेत्रीय रवैये पर चिंता जताई है।

संसद में स्टीव ने बयान दिया – भारत इंडो-पैसिफिक में एक अहम लोकतांत्रिक पार्टनर है। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत का समर्थन करता हूं और अपने द्विपक्षीय संबंध का समर्थन करता हूं। उन क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ भी खड़ा हूं जो चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे हैं।

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