New Delhi : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उन हजारों प्रवासी मजदूरों का मुद्दा उठा, जो लॉकडाउन के बीच भूखे-प्यासे पैदल ही लौट रहे हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने इन्हें राहत दिए जाने की मांग से जुड़ी याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की। चीफ जस्टिस ने कहा, मौजूदा समय में लोगों के बीच डर और दहशत कोरोनावायरस से बड़ी समस्या बन रहा है। केंद्र सरकार इस मामले में बताए कि उसने इन लोगों के लिए क्या व्यवस्था की है। अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का वक्त दिया।
सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 12:15 बजे मामले की सुनवाई होनी है। कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा- कोरोना संकट के सबसे बड़े पीड़ित असंगठित प्रवासी मजदूर हैं। ये देश के अलग-अलग शहरों में रिक्शा चालक, कारखाना मजदूर, घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं। उनके पास संसाधन या इतने पैसे नहीं हैं कि वे लॉकडाउन के वक्त 21 दिन गुजार सकें। केंद्र ने 1.7 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है, लेकिन सफर में फंसे होने से इन मजदूरों को उसका लाभ नहीं मिल पाएगा।
कर्नाटक सरकार के नाकेबंदी के फैसले का केरल में कासरगोड से कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने विरोध किया है। उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा- सीमा सील किए जाने से केरल में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे उनके संसदीय क्षेत्र के लोग मेडिकल सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।
एक वकील ने 50 साल से अधिक उम्र के कैदियों को पेरोल या जमानत पर रिहा करने पर विचार करने का निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दायर की। उन्होंने यह भी मांग की कि उन कैदियों के बारे में भी विचार करने का निर्देश दिया जाए, जो सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं।