New Delhi: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में डूमरडीह गांव की रहने वाली यमुना चक्रधारी की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। इनके पिता का एक छोटा सा ईंट भट्टा है। जहां यमुना पढ़ाई करने के साथ-साथ काम भी करती हैं। काम करने के साथ-साथ यमुना अपने सपनों को भी पंख दे रही है।
ये यमुना चक्रधारी हैं, इनके पिता का ईंट का भट्टा है. इन्होंने परिवार के साथ ईंटें बनाने के अलाव अपने पढ़ाई पर भी ध्यान दिया. छत्तीसगढ़ की इस बेटी ने 6 से 7 घंटे के काम के बाद भी पढ़ाई की. फाइनली इन्होंने नीट पास कर अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. इन्हें बहुत बधाई. pic.twitter.com/L8J4r5WMx7
— Shubham shukla (@ShubhamShuklaMP) June 18, 2023
यमुना के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके पिता बैजनाथ चक्रधारी का छोटा सा ईंट भट्ठे का काम है, जहां पूरा परिवार को काम करना पड़ता है। 6 से 7 घंटे ईंट भट्ठे पर काम करने के साथ काम करते हुए यमुना का इरादा भी मजबूत होता चला गया। पढ़ाई करके वह एक बड़ा मुकाम हासिल करना चाहती थीं। दिन में काम करने के बाद रात में समय निकालकर रोजाना 4 से 5 घंटे यमुना पढ़ाई करती थी। यमुना की मेहनत का फल उसे तब मिला जब वह नीट में ऑल इंडिया रैंक 93,683 हासिल की है। वहीं ओबीसी कैटेगेरी में उनकी रैंक 42,684 आई है।उनके 720 में से 516 अंक आए हैं।
यमुना ने सेल्फ स्टडी करके यह मुकाम हासिल किया है। अब वह डॉक्टर बनकर अपने परिवार का नाम रौशन कर रही है। यमुना एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी और फिर एमएस के लिए ट्राई करेगी। बेटी की सफलता पर पिता बेहद खुश हैं। पिता का कहना है कि बच्चे पढ़ाई करके अच्छे मुकाम हासिल करे। रोजाना उनके साथ भट्ठे पर ईंट बनाने के बावजूद मेहनत के साथ पढ़ाई कर बेटी की कामयाबी पर उन्हें गर्व है। कहते हैं ना मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती हैं, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यमुना ने कुछ ऐसा ही मिसाल पेश किया है।