कोरोना को चुनौती- जब घरवाले ने भी फेर लिया मुंह तो इस शख्स ने दिया कांधा, अंतिम यात्रा का सहारा बना

New Delhi : कोरोना वायरस की तबाही के बीच डॉक्टरों के अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी जान को दांव पर लगाकर अपनी सेवायें दे रहे हैं। दिल्ली में जब कोरोना ने भयावह रूप लिया तो शहीद भगत सिंह सेवा दल ने वो काम किया जिसे करने से कई बार तो परिजनों ने भी मना कर दिया। इस दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी, उनके बेटे और उनकी टीम कोरोना वायरस से जिन लोगों की जान चली जाती है उनका अंतिम संस्कार करते हैं। वे और उनकी टीम अब तक 170 ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं जिनकी कोरोना से जान चली गई।

क्यों शुरू किया ये काम- दिल्ली में एक समय पर 4 हजार मामले रोज आ रहे थे। उस समय परिवार के परिवार कोरोना पॉजीटिव पाये जा रहे थे। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की कोरोना से जान चली जाती तो उनके परिवार जो खुद कोरोना पॉजीटिव थे अपने सगे-संबंधियों तक को कंधा नहीं दे पाये। जब इस भयावह स्थिति को शंटी परिवार ने देखा तो उन्होंने शहीद भगत सिंह सेवा दल के नाम से एक ट्रस्ट के साथ ही टीम बनाकर ये जिम्मा अपने ऊपर लिया।
जब सेवा करते हुए पूरा परिवार हो गया कोरोना पॉजीटिव- सेवा करते हुये कुछ दिनों पहले ही पूरा शंटी परिवार कोरोना पॉजीटिव हो गया। दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी और उनके पुत्र ज्योतजीत समेत उनकी पत्नी और बड़ा बेटा भी कोरोना पॉजिटिव हो गये। लेकिन कोरोना को मात देकर पूरा परिवार न सिर्फ ठीक हुआ बल्कि फिर से काम भी संभाल लिया। पॉजिटिव होने के बावजूद दोनों पिता-पुत्र फोन, ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से शवों को श्मशान घाट ले जाने की सेवा में जुटे रहे।

उनके का्म को लोग कर रहे सलाम- अपने इस काम को वो फेसबुक और दुसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपडेट करते हैं। इसके पीछे का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों में सेवा भाव जगाने का है। उनके इस काम की प्रशंसा तो होती है लोग इससे प्रेरित होकर मदद के लिए भी सामने आते हैं।

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