New Delhi : सरकार दशकों से प्रौद्योगिक औद्योगिक इकाइयों पर नियंत्रण के जरिये जल और वायु प्रदूषण को कम करने में लगी थी। पांच-छह साल से दिल्ली रहने लायक नहीं रह गई थी। हजारों करोड़ की योजनाएं बन रही थीं, बनाई जा चुकी थी यमुना को साफ करने की, गंगा को साफ करने की। कई और नदियों को भी साफ करने की योजनाएं बनीं। बहुत काम हुआ। सैकड़ों करोड़ खर्च भी हुए लेकिन कुछ खास नहीं हुआ। अलबत्ता कोरोना आपदा ने नई राह जरूर दिखा दी। कोरोना आपदा को नियंत्रित करने के लिये केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन लगा दिया। और ये क्या ?
अभी 21 दिन हुए भी नहीं कि गंगा हरी-नीली, साफ, निर्जल नदी में तब्दील हो गई। इतनी साफ कि सदियों में किसी ने गंगा को इतना साफ नहीं देखा। यमुना के भी साफ हो जाने की खबरें आईं। तस्वीरें भी। जलंधर में हवा इतनी साफ हो गई कि 250 किलोमीटर दूर हिमाचल के बर्फ से ढंके पहाड़ नजर आने लगे हैं। साठ के दशक के बाद ऐसा नजारा नजर आया। दिल्ली के आसमान लोगों को नीला दिखने लगा। सालों बाद आसमान पूरी तरह से साफ दिखने लगा। और वायु का स्तर बेहतरीन हो गया। अब इसको बरकरार कैसे रखा जायेगा। लॉकडाउन के बाद सरकार को इस पर विचार करना चाहिये। रास्ते निकालने चाहिये। अभी से कड़ाई करने चाहिये नियमों पर ताकि लॉकडाउन के बाद जब सामान्य परिस्थितियों में फैक्ट्री के कामकाज शुरू हों, लोगों की गतिविधियां शुरू हों तो प्रदूषण नियंत्रण में रहे। ऐसा किया भी जा सकता है। हो सकता है कि केंद्र सरकार और राज्यों को कुछ कड़े कानून बनाने पड़े। लेकिन इससे हजारों करोड़ रुपये नदियों पर खर्च करने और शहरों में वायु प्रदूषण को समाप्त करने की अरबों खरबों की योजनाओं से छुटकारा भी मिल जायेगा। हो सकता है इस बार लोग खुद नियमों का पालन कड़ाई से करें क्योंकि सारे बदलाव लोग देख रहे हैं। युवा प्रदूषण स्तर गिरने से उत्साहित हैं। इसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।
बहरहाल दिल्ली क्षेत्र में वायु प्रदूषण रविवार को एक पायदान चढ़कर ‘मध्यम’ श्रेणी में आ गया। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड फोरकास्टिंग एंड रिसर्च के अनुसार, दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10, दोनों प्रदूषक ‘मध्यम’ श्रेणी में हैं और क्रमश: 56 और 104 पर हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वायू गुणवत्ता सूचकांक दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 108, मुंडका में 131, द्वारका में 96, आईटीओ में 80 और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 92 स्थान पर है।
हवा की गुणवत्ता पिछले सप्ताह ‘अच्छी’ श्रेणी में थी, लेकिन 6 मार्च को ‘अंधेरे को चुनौती देने’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट बंद करके नौ मिनट तक दीया जलाने को कहा था, लेकिन कई लोगों ने इसे गंभीरता से ना लेते हुए खूब पटाखे फोड़े। इस कारण यहां की हवा फिर से प्रदूषित हो गई। राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को न्यूनतम तापमान 22 डिग्री और अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस है। भारतीय मौसम विभाग ने दिन के समय तेज हवा चलने की भविष्यवाणी की है। इस बीच, पुणे, अहमदाबाद और मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 65, 98 और 82 दर्ज किए गए, जो ‘संतोषजनक’ श्रेणी में आते हैं।
लॉकडाउन से शहरों में 50 फीसदी कम हुआ प्रदूषण : कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी के मद्देनजर किये गये लॉकडाउन से इस महामारी पर काफी हद तक ब्रेक लगाने में कामयाबी के साथ ही पयार्वरण भी काफी स्वच्छ हुआ है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इकाई ‘सफर’ के ऑकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में प्रदूषण 50 फीसदी कम हो गया है। साथ ही अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर घटा है और किसी भी शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) “खराब” की श्रेणी में नहीं है। करीब 9० प्रतिशत शहरों में एक्यूआई “अच्छे” या “संतोषजनक” की श्रेणी में है।
वायु प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण में भी भारी गिरावट आई है। इससे आम तौर पर दिन में दूरी बनाए रखने वाले जीव-जंतु भी बाहर निकलने लगे हैं। घरों के आसपास पक्षियों की चहचहाहट बढ़ गयी है। उद्योगों के बंद होने के कारण उनसे निकलने वाला गंदा पानी अब नदियों में नहीं जा रहा। इससे नदियां भी साफ हो गई हैं। सफर के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में पीएम 10 में 49 प्रतिशत, पीएम 2.5 में 45 प्रतिशत और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अहमदाबाद में पीएम 10 का स्तर 47 फीसदी, पीएम 2.5 का 57 फीसदी और नाइट्रोजन ऑक्साइड का 32 फीसदी घटा है। पुणे में पीएम 10 में 32 प्रतिशत, पीएम 2.5 में 31 प्रतिशत और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 62 प्रतिशत की कमी आई है।