New Delhi : ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है। शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए गिलबर्ट ने वैक्सीन के सितंबर तक आ जाने का दावा करते हुए कहा कि हम महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर काम कर रहे थे, जिसे एक्स नाम दिया गया था। इसके लिए हमें योजना बनाकर काम करने की जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि ChAdOx1 तकनीक के साथ इसके 12 परीक्षण किए जा चुके हैं। हमें एक डोज से ही इम्यून को लेकर बेहतर परिणाम मिले हैं, जबकि आरएनए और डीएनए तकनीक से दो या दो से अधिक डोज की जरूरत होती है। प्रोफेसर गिलबर्ट ने इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाने की जानकारी दी और सफलता का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी एक मिलियन डोज इसी साल सितंबर तक उपलब्ध हो जाएगी।
इधर केरल के त्रिवेंद्रम स्थित श्रीचित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नॉलजी का दावा है कि संस्थान ने COVID-19 के टेस्ट के लिए किफ़ायती और बिल्कुल सही नतीजा देने वाला किट विकसित किया है। इंस्टीट्यूट ऑफ़ नेशनल इंपॉर्टेंस के साइंस डिपार्टमेंट ने जो किट विकसित किया है वो दो घंटे के भीतर नतीजा दे देगा।
प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो ने बताया – कोविड-19 का पता लगाने वाला ये किट सार्स-कोव-2 के एन-जीन का पता लगाता है। दावा है कि ये दुनिया में अपनी तरह के उन चंद टेस्ट किट में शामिल है जो उम्दा है। इस टेस्ट किट के लिए फंडिंग डीएसटी द्वारा दी गई है और इसे चित्रा जीनलैंप-एन नाम दिया गया है। ये ख़ास तौर से सार्स-कोव-2 ए-जीन के लिए बनाया गया है और ये जीन के दो हिस्सों का पता लगा सकता है। इसी का हवाला देकर कहा जा रहा है कि ऐसी स्थिति में भी टेस्ट फ़ेल नहीं होगा अगर अपने वर्तमान स्प्रेड के दौरान इस वायरल जीन का एक हिस्सा म्युटेशन से होकर गुज़रता है।
इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) से मान्यता प्राप्त एनआईवी आलप्पुषा द्वारा किए गए टेस्ट में ये बात निकलकर सामने आई है कि चित्रा जीनलैंप-एन का टेस्ट 100 प्रतिशत सही नतीजे देता है और आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल करके टेस्ट नतीजों से मेल खाता है। आईसीएमआर को इस बात की जानकारी दे दी गई है। आईसीएमआर ही कोविड-19 से जुड़े टेस्टिंग किट को भारत में मान्यता देने वाली संस्था है। आईसीएमआर से हरी झंडी मिलने के बाद सीडीएससीओ को इस उत्पादन के लिए लाइसेंस लेने की ज़रूरत होगी।