New Delhi : बीहड़ और डकैतों की बात हो और सीमा परिहार का जिक्र न आये। ऐसा संभव नहीं। सीमा परिहार को लोग बिग बॉस के बाद से ज्यादा जानने लगे। सुशांत प्रकरण में कंगना रनौत के आरोपों के बाद बतौर मूवी माफिया के तौर पर बदनाम सलमान खान ने अपने टीवी शो बिग बॉस का हिस्सा बनाया था। उस शो में भाजपा सांसद मनोज तिवारी भी थे। हालांकि उनको टीवी का यह ड्रामा और राजनीति रास नहीं आया। और वे जल्द ही शो से निकल गईं। उनसे श्वेता तिवारी की अच्छी दोस्ती भी देखी गई, जिन्होंने अंतत: वो सीजन जीत लिया।
दरअसल बिग बॉस शो में टीम के सदस्यों की पॉलिटक्स सीमा को रास नहीं आई थी। वे शो से बाहर हो गईं। और एक वक्त ऐसा भी था, जब चंबल सीमा की हंसी और खौफ दोनों से गूंजा करता था। सीमा ने उत्तरप्रदेश के गरीब ठाकुर परिवार में जन्म लिया था। 1983 में महज 13 साल की उम्र में डकैत लाला राम और कुसुमा नाईन ने उसका अपहरण कर लिया था। बाद में सीमा के पास वापिस घर जाने का मौका था, लेकिन उसे डकैतों का साथ रास आ गया। उसने उस समाज को ही अपना मान लिया और रौब जमाने लगीं।
निर्भय गुर्जर सरला जाटव की दीवानगी से पहले सीमा परिहार की खूबसूरती पर फिसल गया था। लालराम ने दोनों की शादी करवा दी, लेकिन निर्भय की सीमा से कुछ खास न बनी और दोनों अलग हो गये। इस बीच सीमा ने डाकुओं की तरह बंदूक चलाना, डकैती जैसे तमाम गुण सीख लिये। सीमा लाला राम के गिरोह के साथ डकैतियां करती रही। जब 18 मई 2000 में लालाराम पुलिस के शिकार हो गये तब सीमा अकेली रह गई।
बाद में उसने 30 नवंबर, 2000 को आत्मसमर्पण कर दिया। सीमा के जीवन पर फिल्म ‘वुन्डेड- द बैन्डिट क्वीन’ बन चुकी है। इस वक्त सीमा समाजवादी पार्टी का हाथ थामे राजनीति कर रही हैं। इस खूबसूरत दस्यु सुंदरी की खूबसूरती ने बीहड़ों को कई सालों तक आबाद रखा। डाकुओं को से शादियां की। घर बसाये और फिर अपने लिए बंदूक भी थामी। इनका दबदबा भी उतना ही रहा जितना बीहड़ के डाकुओं का। सही मायनों में कहा जाये तो केवल वे ही थीं, जिनके आगे अच्छे-अच्छे डाकू भी हथियार डाल देते थे।