New Delhi : सीबीआई की विशेष अदालत ने आज बुधवार 30 सितंबर को बाबरी केस के सभी आरोपियों को आरोपों से बरी करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई ठोस प्रमाण, साक्ष्य नहीं मिला जिससे पता चले कि बाबरी को सुनियोजित, पूर्वनियोजित ढंग से षड्यंत्र करके तोड़ा गया हो। ऐसे में आरोपियों पर कोई आरोप नहीं बनता और सबको इस मामले के आरोपों से बरी किया जाता है। अदालत के इस आदेश से 28 साल से जारी संघर्ष का पटाक्षेप हो गया है। अदालत ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
#BabriDemolitionCase Updates 👨⚖️ | All 32 accused in the Babri Masjid case acquitted as Special CBI Court observes the incident was not pre-planned, as evidences not strong enough.#BabriMasjid #CBI | Track LIVE: https://t.co/dI2QTqcmUM pic.twitter.com/uETWEFv0KM
— moneycontrol (@moneycontrolcom) September 30, 2020
So the #BabriMasjid self demolished itself.. all accused acquitted, not surprising.
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" Tum adalato se chutkule likho, hum deewaro pe insaaf likhenge, sab Yaad rakha jaega" pic.twitter.com/EgaACdOOnA— Noman Siddiqui (@nomansiddiqui) September 30, 2020
Delhi: Law & Justice Minister Ravi Shankar Prasad arrives at the residence of senior BJP leader Lal Krishna Advani who, along with 31 other accused, was acquitted in #BabriMasjid demolition case by Special CBI Court in Lucknow today. pic.twitter.com/oNHImAWP7i
— ANI (@ANI) September 30, 2020
A special court on Wednesday acquitted all accused in the Babri mosque demolition case.
Here are the key points of the verdict 👇https://t.co/iR0yQFOTOr#BabriDemolitionCase #BabriMasjid pic.twitter.com/aFlPvZwRUl
— The Times Of India (@timesofindia) September 30, 2020
28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को तोड़ डाला गया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर पर इसके तोड़ने का षडयंत्र रचने और पूर्वनियोजित ढंग से इसे तुड़वाने का आरोप लगा था। इस घटना ने भारतीय समाज और भारतीय इतिहास का रुख ही मोड़ दिया।
जज एसके यादव ने आज फैसला सुनाते हुये कहा कि तस्वीरों के आधार पर यह कतई साबित नहीं किया जा सकता है कि सभी नेतागण इसको तोड़ने की साजिश रच रहे थे। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह पुख्ता हो सके कि बाबरी को तोड़ने की साजिश रची गई। 6 दिसंबर 1992 के 10 दिन बाद केंद्र सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन कर दिया, जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन आयोग की जांच पूरी होने में 17 साल लग गये। घटना के सात दिन बाद ही मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था।
NDTV Anchor expresses anger on Former Uttar Pradesh CM Kalyan Singh
For not killing thousands of Karsevaks during #BabriMasjid Demolition
So what the Difference between Mughuls and NDTV.?#BabriDemolitionCase pic.twitter.com/8TrBuPYEsK
— Ganesh (@GaneshJaiHind) September 30, 2020
Historical Victory, All accused acquitted. demolition was not pre-planned. Bhishm Pitamah Shri LK Advani ji Joining The Court Via Video Conference.
Jai Shri Ram 🙏 🚩 #BabriMasjid#BabriDemolitionCase #BabriVerdict pic.twitter.com/LmA5poX5l4
— Pushpendra Kulshreshtha (@iArmySupporter) September 30, 2020
2009 : Sushma Swaraj on #BabriDemolitionCase
"there was no conspiracy – Demolition of #BabriMasjid was NOT pre-planned @governorswaraj @SushmaSwaraj @umasribharti pic.twitter.com/kfZXIC4AfK
— Gunja Kapoor (@gunjakapoor) September 30, 2020
I asked Dr Murli Manohar Joshi what was the act of demolition of #BabriMasjid if it wasn’t pre-planned. pic.twitter.com/BqXgMnxnlL
— Poulomi Saha (@PoulomiMSaha) September 30, 2020
साल 2007 में ट्रायल शुरू हुआ और पहली गवाही हुई। दो अलग-अलग मामलों में कुल 994 गवाहों की लिस्ट थी, जिसमें से 351 की गवाही हुई। इसमें 198/92 मुकदमा संख्या में 57 गवाहियां हुईं, जबकि मुकदमा संख्या 197/92 में 294 गवाह पेश हुये। बाकी गवाह या तो नहीं रहे या फिर किसी का एड्रेस गलत था तो कोई अपने पते पर नहीं मिला।