New Delhi : लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर चीन के साथ तनातनी का माहौल बना हुआ है। भारत और चीन के बीच बातचीत के जरिये तनाव को कम करने के प्रयास में अभी कोई नतीजा नहीं निकला है। दोनों देशों की सेना पैगोंग शो झील, गल्वान घाटी और देमचौक में अपनी-अपनी स्थिति पर कायम है। तीन जगहों पर चीनी सैनिक और भारतीय सेना के मुस्तैद जवान आमने-सामने हैं। चीनी सैनिकों की बढ़ती संख्या देख भारतीय सेना भी सतर्क है और आर्मी कमांडर सीमा के हालात पर पैनी नजर बनाये हुये हैं। भारतीय सेना के जवान एलएसी पर चीनी सैनिकों के ठीक सामने महज 350 मीटर की दूरी पर मोर्चा संभाले हुए हैं।
As the standoff between Indian and Chinese soldiers at several points along the LAC in the “Western” Ladakh sector and Sikkim continues, at least three facts point to why this standoff is different from past incidents. https://t.co/8dS9z6mvE1
— Arshid Lone (@arshidlone_) May 25, 2020
रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग येई ने अपने लंबे प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार भी भारत का जिक्र नहीं किया। वहीं, नई दिल्ली की तरफ से चीन का जिक्र नहीं किया जा रहा है। शुक्रवार से चीनी नैशनल पीपल्स कांग्रेस की शुरुआत हो रही है। इसकी समाप्ति तक कोई तार्किक बातचीत होने की उम्मीद बहुत कम है। पिछले चार सालों में भारत ने सीमा पर विकास कार्यों को बढ़ाया है। इससे LAC पर भारतीय सेना की पहुंच पहले की तुलना में तेज हुई है और भारत चीनी के आक्रामक पेट्रोलिंग का उसी की भाषा में जवाब दे रहा है।
पूर्वी लद्दाख के दौलत बाग ओल्डी इलाके में कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी जिसका कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला है। चीनी सेना के जमावड़े के बाद जवानों की संख्या बढ़ा चुकी भारतीय फौज की उत्तरी कमान तय रणनीति के तहत कभी भी पूर्वी लद्दाख में अतिरिक्त सैनिकों को भेजने में सक्षम है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी सैनिक तीन जगहों पर डेरा डाले हुये हैं। टेंट लगाने के साथ ही चीनी सैनिकों ने वहां पर निगरानी यंत्र स्थापित किये हैं। इनसे कुछ दूरी पर भारतीय सेना के जवान भी मोर्चा संभाले हुये हैं।
China's Ladakh Act is a replay of its 1962 playbook on a 2020 mosaic…an attempt to retain a dominant posture in LAC as India tries to improve border infra. The returns on that script are, however, diminishing. My piece in @ETPolitics @EconomicTimeshttps://t.co/vxerPbLCbb
— Pranab Dhal Samanta (@pranabsamanta) May 25, 2020
सेना से सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने बताया कि भारतीय फौज लद्दाख में काफी मजबूत हुई है। अब ऑल वेदर सड़क के जरिए सैनिकों को जल्द वास्तविक नियंत्रण रेखा तक ले जाया जा सकता है। दौलत बाग ओल्डी में वायुसेना के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनने से भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हुआ है। गुप्ता ने बताया कि यही वजह है कि चीन बौखलाहट में पहले से अधिक शरारतें कर रहा है।
रविवार को थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने के दौरे से भी जवानों के हौसले और बुलंद हुये हैं। उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी पूर्वी लद्दाख के हालात पर पैनी नजर रख रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी लद्दाख में हाई अल्टीट्यूड वारफेयर में माहिर हैं। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बनने से पहले जनरल जोशी लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की 14 कोर के कोर कमांडर रह चुके हैं। कारगिल युद्ध के दौरान बहादुरी के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था।
What’s the truth behind what’s happening in Ladakh? What is Line of Actual Control (LAC) and why do both Indians & Chinese cross it so often? What should our policy towards Nepal be?
Watch the latest episode of DEFENSIVE OFFENCE here 👇https://t.co/Ils7XoWShU
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) May 25, 2020
चीन ने इस साल लद्दाख में पहले से अधिक आक्रामक तेवर दिखाये हैं। साल के पहले चार महीनों में ही चीन ने 170 बार उकसाने वाली कार्रवाई की है। पिछले साल लद्दाख में पूरे साल में ऐसे 110 मामले हुये थे। हालांकि भारतीय सेना ने भी लद्दाख में होने वाली बॉर्डर पर्सनल बैठकों में लगातार ऐसी कार्रवाइयों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताती रही है। इन तमाम कवायदों के बावजूद चीनी सेना हरकतों से बाज नहीं आ रही है। कल एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया था कि बीते दो हफ्ते में ही चीन की फौज ने करीब 100 टेंट लगाए हैं।