New Delhi : शाहीन बाग में प्रदर्शन 93वें दिन भी जारी है लेकिन अब धीरे–धीरे लोगों का ध्यान बंट गया है। Corona Virus के डर सेलोगों ने इकट्ठा होना छोड़ दिया है। पहले यहां दिन में 2 से 3 हजार लोग जमा रहते थे और पंडाल के बाहर भी लोगों का जमावड़ा लगारहता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। शाहीन बाग में टेंट के बाहर अब लोग भी नहीं दिखाई देते। हां टेंट में आज भी महिलाएं इकट्ठी होती हैंलेकिन इनकी संख्या 100-150 से ज्यादा नहीं होती। शाहीन बाग में लोग मास्क पहनकर भी प्रदर्शन करने पहुंचते हैं।
कालिंदी कुंज की सड़क का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने दो वार्ताकार भी नियुक्त किए और शाहीन बागभेजा। आखिर इस समय कोई सड़क की बात क्यों नहीं कर रहा? दरअसल कोरोना वायरस की वजह से लोगों का आना जाना कम होगया है। 31 मार्च तक स्कूल–कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। सड़कों पर अब वैसी भीड़ नहीं दिखाई दे रही है। ज्यादातर लोगों की यहीशिकायत रहती थी कि रोड बंद होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। शाहीन बाग ने पुलिस ने पहले ज्यादा क्षेत्र में बैरिकेटिंगकर रखी थी। अब यह बैरिकेटिंग भी पीछे की तरफ खिसका ली गई है जिस वजह से लोग वहां से निकल रहे हैं। दरअसल शाहीन बाग मेंभीड़ कम होने की वजह से अब लोगों के आवागमन में उतनी परेशानी नहीं होती।
कोरोना वायरस देश में राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दी गई है। ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर भी रोक है। इस वजह से राजनीतिक सभाएंलगभग बंद हो गई हैं। राजनीतिक सभाएं न होने की वजह से सरकार और विपक्ष दोनों तरफ से सीएए को लेकर बयान बाजी नहीं हो रहीहै। जिन राजनीतिक दलों ने रैली या सभा की योजना बनाई थी, कोरोना की वजह से उन्हें कैंसल करनी पड़ी।
सीएए को लेकर विपक्ष कहता रहा है कि मौजूदा सरकार देश में अल्पसंख्यकों के साथ नाइंसाफी करती है। सीएए का पूरा प्रदर्शन इसीबात पर आधारित था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लेदेश के मुस्लिमों के इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया? लोगों का यह भीकहना था कि इससे नागरिकता जा भी सकती है। हालांकि सरकार स्पष्ट करती रही है कि इससे देश के नागरिकों पर कोई प्रभाव नहींपड़ेगा। सरकार ने लगातार प्रयास जारी रखते हुए ईरान से 234 लोगों को निकाला। इसमें ज्यादातर श्रद्धालु शामिल थे। ऐसे में विपक्षसरकार पर धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोप लगाने में सक्षम नहीं है।
कोरोना वायरस ने दुनियाभर में महामारी का रूप ले लिया है। चीन के बाद यह सबसे ज्यादा इटली में कहर बरपा रहा है। यहां इसवायरस की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 1900 के पास पहुंच गया है। वहीं यूरोप में 200 से ज्यादा लोग कोरोना की वजह से मारे गएहैं। कजाखस्तान, अमेरिका और स्पेन सहित कई देशों ने आपातकाल की घोषणा कर दी है। ऐसे में सभी देशों की प्राथमिकता अन्यविवादों को छोड़कर इस महामारी से निपटने की है।