अनामिका प्रकरण : तीन लाख की घूस देने के बाद मिलती थी अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी

New Delhi : अनामिका शुक्ला केस में रोज नया खुलासा हो रहा है। नया खुलासा यह है कि फर्जी टीचर की नौकरी की नाम पर लड़कियों से तीन-तीन लाख रुपये की घूस ली जा रही थी। अलीगढ़ में अनामिका के नाम से नौकरी कर रही बबिता यादव ने पुलिस को यह जानकारी दी। वह अक्टूबर 2019 से अनामिका के नाम पर नौकरी कर रही थी। उसने बैंक में भी अनामिका के नाम से खाता खुलवाया था। कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, बिजौली ब्लॉक में अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों पर नौकरी करने वाली बबली को अलीगढ़ पुलिस ने रविवार की देर रात गिरफ्तार किया था।

बबिता कानपुर देहात के रसूलाबाद के चंदनपुरवा की निवासी है। छह जून से घर पर ताला लगाकर फरार थी। बबली की तलाश में तीन दिन से अलीगढ़ पुलिस कानपुर और औरैया में डेरा डाले हुये थी। एसपी क्राइम डॉ. अरविंद कुमार ने बताया – एसएसपी मुनिराज ने गिरफ्तारी के लिये दो टीम बनाई थीं। टीमें दबिश दे रहीं थीं लेकिन बबली बार-बार अपनी लोकेशन बदल रही थी। इसलिए पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रही थी। इस बीच बबली के किसी करीबी की सूचना पर औरेया में घेराबंदी कर दी। इसके बाद अनामिका के दस्तावेजों पर नौकरी करने वाली बबली को अलीगढ़ के बिजौली तिराहे से गिरफ्तार कर लिया गया। अभी मामले में पुष्पेन्द्र जाटव, बल्लू यादव व राजबेटी फरार हैं, जिनकी तलाश के लिए टीम का गठन किया गया है।
एसपी क्राइम डा. अरविंद कुमार ने बताया – रसुलाबाद कानपुर देहात की बबली यादव की नौकरी मैनपुरी के पुष्पेंद्र जाटव उर्फ सुशील जाटव उर्फ गुरु से करायी। तीन लाख रुपये लेकर उसकी काउंसलिंग अलीगढ़ में कराई गई। अनामिका शुक्ला ने ही बबली को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराये। अनामिका के नाम का आधार कार्ड देने के साथ ही सेंट्रल बैंक रसूलाबाद में खाता खुलाया।

बबली ने बताया कि उसकी ननद सरिता यादव को इलाहाबाद में अनामिका शुक्ला के नाम से ही कस्तूरबा गांधी विद्यालय सौराग ब्लॉक में तीन लाख रुपये में भर्ती कराया गया। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में नौकरी करने वाली अनामिका यानि बबली के मामले की भनक लगते ही वह कानपुर से फरार हो गई थी। ऐसे में अलीगढ़ में बिजौली के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में फर्जीवाड़े से नौकरी पाने वाली बबली पुलिस को कानपुर में नहीं मिली। घर पर ताला लगा था। बैंक खाते में दिए गए पते पर तो वह नहीं मिली लेकिन पड़ोसियों ने उसे फोटो से पहचान लिया। उसका मानदेय कानपुर के सेंट्रल बैंक के खाते में जा रहा था।

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