New Delhi : लॉकडाउन के बीच अगर इस देश में किसी पर चर्चा हो रही है तो वह बॉलीवुड एक्टर दानवीर सोनू सूद ही हैं। वे काम भी ऐसा ही कर रहे हैं। रोज एक हजार से बारह सौ प्रवासी मजदूरों, स्टूडेंट्स को उनके घर तक जाने का इंतजाम कर रहे हैं। चारों तरफ उनकी ही चर्चा। क्या नेता क्या अभिनेता सभी उनकी तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर तो वे पूरी तरह से छा गये हैं। अब उनके बारे में एक पत्रकार मेधाविनी मोहन ने अपने फेसबुक पेज पर एक किस्सा शेयर किया है जो बेहद दिलचस्प है। फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि मेधाविनी कई प्रमुख मीडिया हाउस में काम कर चुकी हैं। हम यहां उनकी पोस्ट को हूबहू आप सबों के साथ साझा कर रहे हैं।
16 जून, 2015 की बात है। सोनू सूद झाँसी आने वाले थे। ओरछा के एक होटल में उनके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। उनके इंटरव्यू…
Posted by Medhavini Mohan on Sunday, May 24, 2020
16 जून, 2015 की बात है। सोनू सूद झाँसी आने वाले थे। ओरछा के एक होटल में उनके ठहरने की व्यवस्था की गई थी। उनके इंटरव्यू के लिए मैं उसी होटल में बैठी उनका इन्तज़ार कर रही थी। इन्तज़ार की घड़ियाँ लम्बी चली थीं। इस बीच पूरे गेस्ट हॉल और वहाँ मौजूद लोगों का सूक्ष्म मुआयना कर चुकी थी। मेरे अलावा वहाँ उस कार्यक्रम के आयोजकों की तरफ़ से भी कुछ लोग थे जिसका सोनू हिस्सा बनने वाले थे। इस बीच मैंने ग़ौर किया कि मेरे बगल वाले सोफे पर एक आदमी साधारण कपड़ों में और गमछा डाले बैठा है। बड़ा बेचैन दिखाई दे रहा था। कभी एक पैर दूसरे पर रखता, कभी दूसरा पहले पर। बीच-बीच में उठ कर होटल के मेन गेट तक जाता, दूर तक ताकता और फिर गमछे से पसीना पोछते हुए वापस आकर बैठ जाता। मुझे लगा, ऐसी भी क्या बेचैनी?
Love u bhaji. https://t.co/hk5j2BjJoX
— sonu sood (@SonuSood) May 25, 2020
मैं उस शख़्स के पास जाकर बैठ गई और पूछा- ‘आप भी सोनू का इन्तज़ार कर रहे हैं?’ उसने सादगी भरी मुस्कान के साथ ‘हाँ’ में सिर हिलाया। मैं सोचने लगी- ‘मीडिया से तो लग नहीं रहा। कोई बड़ा फ़ैन लगता है सोनू का।’ मुझे याद आया कि यह बात तो काफ़ी गोपनीय रखने की कोशिश की गई थी कि वह कहाँ रुकेंगे। मैंने सवाल दागा- ‘आपको कैसे पता चला कि वह यहाँ आने वाले हैं?’ उसने जवाब दिया- ‘जबसे अख़बार में पढ़ा कि सोनू आने वाला है, तब से ही पता करने की कोशिश में लगा था। न जाने कितने फ़ोन घुमा दिए। जैसे ही पता चला कि वह यहाँ आने वाले हैं, यहीं पर डेरा डाल दिया। चार घण्टों से बैठा हूँ।’ मैंने घड़ी पर नज़र डाली- दोपहर के तीन बज रहे थे। सोनू के आने का वक़्त भी हो रहा था। पूछने पर पता चला कि उस शख़्स का नाम संजय गुप्ता है। वे झाँसी ज़िले के बरुआसागर के रहने वाले हैं और ओरछा के पास उनके स्टोन क्रशर चलते हैं।
💪🙌Latest visuals of @SonuSood sending migrants back to their homes in the states of UP & Bihar. The new super hero of the poors has sent more than 12,000 migrants to their homes. There is absolutely no stopping for him. A drive called GHAR BHEJO in association with Neeti Goel. pic.twitter.com/12fV2u0dqt
— Atul Mohan (@atulmohanhere) May 24, 2020
मैंने एक और सवाल किया- ‘बहुत ज़्यादा पसन्द हैं आपको सोनू?’ मेरी बात सुन कर संजय ऐसे मुस्कुराए, मानो मन में कोई राज़ धरा हो। अगले ही पल उन्होंने वह राज़ खोल भी दिया- ‘मेरा बैचमेट था सोनू!’ मैंने उन्हें अचरज से देखा। सोनू के मुक़ाबले वह उम्रदराज़ दिख रहे थे। फिर याद आया कि देखने से स्टार्स की असल उम्र का पता कहाँ चलता है। उन्होंने आगे बताया- ‘पंजाब का रहने वाला है सोनू, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए नागपुर आया था। यह बात अलग है कि थर्ड ईयर में ही उसने कॉलेज छोड़ दिया था। मैं पहले उसका रूममेट बना, फ़िर दोस्त। साथ रहना, खाना-पीना, पढ़ाई करना, घूमना, मस्ती करना। तब भी उसकी पर्सनैलिटी बढ़िया हुआ करती थी। हमने एक बार मिल कर मिस्टर नागपुर इवेंट भी आयोजित कराया था, उसमें सोनू ने ही ख़िताब जीता था। बड़ा अच्छा और मददगार लड़का था। उसके आने की ख़बर मिली, तो मैं दौड़ा चला आया…बस एक मुलाक़ात को। पहचानेगा, तो ठीक, वरना…वापस चला जाउंगा।’ यह कहते ही उनके चेहरे पर उदासी की लक़ीर दिखाई थी।
Thank you my friend who’s been an inspiration always. Your encouraging words motivate me to work harder. I promise you to be with our brother and sisters till the last one reaches their home. I will make you proud the way you did. A big salute to a true achiever🙏 🇮🇳 https://t.co/dI49OSoUMG
— sonu sood (@SonuSood) May 24, 2020
मैंने उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा- ‘क्यों नहीं पहचानेंगे, आप दोस्त रहे हैं उनके!’ इस पर उन्होंने हिचकते हुए कहा- ‘दरअसल हमारा झगड़ा हो गया था कॉलेज के टाइम में। मैंने भी काफ़ी बुरा-भला बोल दिया था। फिर हम रूममेट भी नहीं रहे थे।’ मैं केवल ‘ओह्ह’ बोल पाई।
जब सोनू की गाड़ी होटल के सामने आकर खड़ी हुई, उत्साहित संजय ने कार की ओर दौड़ लगा दी। बाकी लोग भी उसी ओर दौड़ पड़े थे। जैसे ही सोनू कार से उतरे, संजय ने झिझक भरी एक धीमी-सी आवाज़ लगाई- ‘सोनू…’ और कुछ सोच कर उनके बढ़ते क़दम थोड़ी दूर पहले ही ठहर गए। सोनू की नज़र जैसे ही उन पर पड़ी, उनका चमकता चेहरा और भी चमक उठा। ठहरे यार की ओर दौड़ लगा कर उन्होंने उसे ज़ोर से गले लगा लिया। उनका वह उत्साह, वह जोश, वह ख़ुशी देखने लायक थी। उन ख़ूबसूरत पलों का गवाह वहाँ मौजूद हर शख़्स था।
Love u too bhaji ❣️❣️❣️❣️❣️ https://t.co/5HNKz1xsXn
— sonu sood (@SonuSood) May 22, 2020
Almighty is helping them brother. I am just the tool 🙏 https://t.co/xu0rBXNwFA
— sonu sood (@SonuSood) May 23, 2020
आम तौर पर स्टार्स मीडिया को ख़ासा भाव देते हैं, लेकिन उस वक़्त मीडिया की ओर से मैं वहाँ इकलौती मौजूद थी और लगभग उपेक्षित थी। पहली बार उपेक्षित होकर अच्छा लग रहा था। संजय के चेहरे पर पहचान लिए जाने का जो सुकून था, वो मुझे अपना सुकून लग रहा था। सोनू का सारा ध्यान संजय पर था। हर कोई उनसे बात करना चाहता था, मगर वे तो बरसों बाद मिले अपने दोस्त में मग्न थे। मैंने सुना कि संजय ने उनसे पूछा- ‘उस लड़ाई के लिए अब भी नाराज़ तो नहीं है?’ सोनू ने हँस कर कहा- ‘कौन-सी लड़ाई भाई!’ वक़्त कम होने की मजबूरी जता कर उन्होंने संजय से वादा किया कि कुछ दिनों बाद किसी काम से उन्हें फिर से यहाँ आना है, तब उनके घर ज़रूर चलेंगे। विदा लेते हुए मैंने संजय की आँखें नम देखीं। शायद वे सोनू से मिलने ऐसे भागे नहीं चले आते, अगर उन्हें मालूम न होता कि सोनू को ख़ास से आम होना बख़ूबी आता है।
Thank you so much for these encouraging words brother. Means a lot 🙏 will continue giving my 100% till the last migrant gets reunited with his family. 🇮🇳 https://t.co/HD46Ltw6Ch
— sonu sood (@SonuSood) May 25, 2020
इंटरव्यू के दौरान जब मैंने सोनू से पूछा था- ‘कोई ड्रीम रोल है, जिसे करना चाहते हैं?’ उन्होंने जवाब में कहा था- ‘एक बार सुपरहीरो बनना चाहता हूँ। उम्मीद है, कभी तो मौक़ा मिलेगा!’ (साभार- मेधावनी मोहन)