एलएसी पर सब तैयार- भारत ने अपने पुराने दोस्त रूस से मांगा ‘ब्रह्मास्त्र’, लंबित डीलों को राजनाथ पूरा करेंगे

New Delhi : चीन के साथ विवाद के बीच भारत अपने पुराने दोस्त रूस से ऐंटी मिसाइल सिस्टम S-400 को जल्दी से पाने की कोशिशों में जुट गया है। भारत ने रूस के साथ 2018 में 5 अरब डॉलर से ज्यादा की कीमत वाला यह समझौता किया था। कोरोना आपदा की वजह से इसे अब दिसंबर 2021 तक डिलेवरी की बात कही जा रही है। पर भारत इस सिस्टम की जल्दी से जल्दी आपूर्ति चाहता है। इन सबके बीच, भारत ने सेना को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया है और तमाम रक्षा तैयारियां पूरी करने का आदेश दिया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की आज से शुरू होने वाली तीन दिवसीय रूस की यात्रा में रूस को S-400 मिसाइल सिस्टम की जल्दी आपूर्ति के लिए आग्रह किया जाएगा। भारत ने पिछले साल ही इस सिस्टम के लिए एडवांस राशि दे भी दी है। बता दें कि चीन के भी रूस के साथ मजबूत रक्षा रिश्ते हैं। चीन पहले ही S-400 ऐंटी मिसाइल सिस्टम अपने बेड़े में शामिल कर चुका है।
भारत दो मोर्चं पर लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। तमाम पेंडिंग पड़ी खरीदारी को तेज कर दिया गया है इसके अलावा साजो-सामान के भंडार को बढ़ाया जा रहा है। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रूस S-400 की खेप भारत के साथ कुछ और देशों को भी देने वाला है। पर भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रिश्तों का हवाला देकर भारत इस ऐंटी मिसाइल सिस्टम की जल्दी आपूर्ति के लिए दबाव बनाने वाला है। समझौते के दो हिस्से हैं. पहला, लड़ाकू विमान सुखोई और मिग बेड़े के कलपुर्जे जल्दी से उपलब्ध कराना और दूसरा राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बाद भी भारत को मिलने वाली आपूर्ति बाधित नहीं होगी।

मौजूदा समय में डिफेंस तैयारियों के लिए रूस से तुरंत मदद की जरूरत है। कोरोना महामारी के कारण रूस में होने वाली विक्ट्री डे परेड में शामिल होने जा रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हालांकि इस दौरान कोई मंत्रीस्तरीय बैठकें नहीं करेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में राजनाथ के रूस जाने का प्लान बना था। सरकार का मानना था कि मौजूदा स्थिति में रूस के साथ रिश्तों में गर्मजोशी जरूरी है। चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। हाल के वर्षों में चीन ने रूस के साथ बेहतर रक्षा रिश्ते बनाए हैं और उसने उच्च स्तरीय रूसी तकनीक को हासिल किया है, खासतौर पर जेट इंजन बनाने के क्षेत्र में। दरअसल, चीन अपना डिफेंस उद्योग विकसित करने को लेकर लंबे समय से योजना बना रहा है।

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