New Delhi : भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाने- जाने वाले, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने न केवल विज्ञान में योगदान दिया, बल्कि भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया और उन्हें व्यापक रूप से ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ के रूप में माना जाता था।
These Chappals of Dr Kalam were in the suitcase of his last journey to Shillong. ( See how worn out they were and had even been repaired) pic.twitter.com/XjJoxBjhNE
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) September 1, 2017
एक वैज्ञानिक से राजनेता बने, डॉ कलाम का जन्म और पालन-पोषण रामेश्वरम में हुआ और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उन्होंने अगले चार दशक एक वैज्ञानिक और विज्ञान प्रशासक के रूप में मुख्य रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में बिताये और भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास प्रयासों में गहराई से शामिल थे।
एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक के रूप में, डॉ कलाम ने भारत के दो प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों – रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ काम किया। उनके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है। उन्होंने भारत के सबसे महत्वपूर्ण परमाणु परीक्षणों में से एक पोखरण-द्वितीय में केंद्रीय भूमिका निभाई। विज्ञान और राजनीति में उनके काम के लिये उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
Tribute to the former President of India and "Bharat Ratna" Dr. #APJAbdulKalam on his death anniversary.
He will always be remembered as an eminent scientist, an incredible teacher and a great human being.
His values and ideas will continue to inspire the coming generations. pic.twitter.com/fRPt4IJk1n— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 27, 2021
उन्होंने 25 जुलाई, 2002 और 25 जुलाई, 2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। 27 जुलाई, 2015 को 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। कलाम सादगी की मिसाल थे। बतौर पुडुचेरी गवर्नर किरण बेदी ने उनकी मेमोरियल देखी और ट्वीट कर उनकी सादगी का वर्णन किया। पोस्ट किये गये ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, बेदी ने पूर्व राष्ट्रपति के सरल जीवन के लिये उनकी सराहना की और उसी को उजागर करने के लिये उनके सैंडल की एक तस्वीर भी साझा की। किरण बेदी ने ट्वीट किया- डॉ कलाम की ये चप्पलें शिलांग की उनकी अंतिम यात्रा के सूटकेस में थीं। देखें कि चप्पल कितने खराब हो गये थे और उनकी मरम्मत भी की गई थी।
Salute to the great personality and very Magnanimous person ,The Great Missile Man ..Kalam sahab.
❤️❤️❤️💐💐💐🙏🙏🙏#MissileMan #APJAbdulKalam #अब्दुल_कलाम pic.twitter.com/dOscYzRDME— Shubham Singh Yadav (@ShubhamSinghOn1) July 27, 2021
जब 25 जुलाई 2002 को डा. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो गये तो उसके बाद वे सबसे पहले केरल गये। वहां पर राजभवन में उनके ठहरने की व्यवस्था थी। वहां पहुंचने के बाद उन्होंने वहां के दो लोकल लोगों से मिलने की इच्छा व्यक्त की। पहला व्यक्ति वह था जो उनके जूते सिलता था, उन दिनों में भी वो वही काम करता था। और दूसरा व्यक्ति था एक ढाबा मालिक जहां वे खाना खाते थे। दोनों से उनकी मुलाकात उस वक्त हुई जब डा. कलाम तिरुवनंतपुरम में काम के सिलिसले में रहते थे। डा. कलाम ने अपने परिवार या अपनों के लिये कुछ भी बचाकर नहीं रखा। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी पाई-पाई की जमा पूंजी एक ट्रस्ट को दान कर दी। अपने लिये भी कुछ नहीं रखा, क्योंकि उनका मानना था कि चूंकि वह राष्ट्रपति बन गये हैं इसलिये जीवनपर्यंत भारत सरकार ही उनकी देखभाल करेगी।