New Delhi : अरविंद केजरीवाल आम से दिखने वाले खास मुख्यमंत्री। खास इसलिए कि उन्हें राजनीति विरासत में हासिल नहीं हुई। भारतीय राजनीति में लंबे समय बाद केजरीवाल एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो समाजिक आंदोलन से निकले। जिन्हें जनता ने खुद अपने नेता के तौर पर देखना चाहा। जहां राजनीति में आने या फिर यहां तक कि छोटे-छोटे पद पाने के लिए भी लोग राजनीतिक दलों और नेताओं की परिक्रमा करते फिरते हैं वहीं केजरीवाल ने नेताओं और उनके द्वारा की जाने वाली राजनीति के खिलाफ ही आंदोलन खड़ा कर दिया।
Not all super heroes wear capes..
Some wear AAM admi cap and are committed to make Aam admi's life khaas 😊Happiest Birthday Greetings to janata ka CM Arvind Kejriwal sir. 💐❤️
Happy birthday AK pic.twitter.com/OedBmO6QQo
— Sota Hua Khattar (@Gurgaanva_Wala) August 15, 2020
आम आदमी से जुड़ते हुए नेताओँ के कारनामों की पोल खोली और उनका यही स्टाईल उन्हं राजनीति में ले आया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश की राजधानी दिल्ली जहां कभी दो ही पार्टियों का राज होता था, वहां केजरीवाल ने एंट्री मारकर दिल्ली के सारे राजनीतिक समीकरण बदल डाले। 2013 में उन्होंने 15 सालों से दिल्ली की मुख्यमंत्री और कांग्रेस की धाकड़ नेता रहीं शीला दिक्षित को भारी मतांतर से हरा दिया। इसके बाद तो 2015 में उन्होंने भारतीय राजनीति इतिहास के सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ते हुए 70 में से 67 सीटें हासिल की। उसके बाद से अब तक वो दिल्ली की सत्ता पर बेधड़क राज कर रहे हैं।
केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के सिवानी गांव में एक पढ़े लिखे परिवार में हुआ। पिता इंजीनियर थे तो घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल शुरू से रहा। इसका फायदा भी केजरीवाल ने उठाया। वो पढ़ने में शुरू से अव्वल रहे अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर उन्होंने पहले ही प्रयास में आईआईटी की परीक्षा पास कर ली और अपनी रुचि के अनुसार आईआईटी खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें टाटा स्टील लिमिटेड में नौकरी मिल गई। लेकिन शुरू से उनकी इच्छा भारतीय सिविल सेवा में जाने की थी। नौकरी करते हुए ही उन्होंन यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने 1993 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हो गए।
Great https://t.co/Zy0XcTQhrI
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 15, 2020
भारतीय राजस्व सेवा में उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। इस नौकरी को करते हुए उन्हें ये एहसास हुआ कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। नौकरी करते हुए ही उन्होंने इस पर और भी शोध किया जिसके बाद उन्होंने, नौकरी करते हुए ही भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी। यहां से उन्हें जानकारी मिल गई कि किस पूंजीपति के पास कितनी अनलीगल तरीकों से कमाई गई संपत्ति है। आयकर विभाग से उन्हें जो चाभी मिली उसका इस्तेमाल उन्होंने समाजिक कार्यकर्ता के रूप में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में इस्तेमाल किया। इसमें सबसे पहले उन्होंने सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रोबर्ट वाड्रा की कंपनी डीएलएफ के भ्रष्टाचार का खुलासा किया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के दूसरे धाकड़ नेता सलमान खुर्शीद द्वारा चलाए जा रहे ट्रस्ट में भ्रष्टाचार का दावा किया।
1999 में केजरीवाल ने परिवर्तन नाम से एक एनजीओ की स्थापना की। जिसका उद्देश्य बिजली, आयकर और खाद्य राशन से जुड़े मामलों में नागरिकों की सहायता करना और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार को उठाना था। इसी संगठन में कार्य करते हुए उन्होंने 2006 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और समाज सेवा करने वाले विभिन्न संगंठनों से जुड़े रहे। 2012 में अन्ना हजारे द्वारा चलाया गया इंडिया अगेंस्ट करप्शन और जन लोकपाल आंदोलन से केजरीवाल को पहचान मिली। वो जनता के बीच अच्छे वक्ता के रूप में पहचान बना चुके थे।
मैं क़तरा हो के भी तूफ़ाँ से जंग लेता हूँ
मुझे बचाना समुंदर की ज़िम्मेदारी है।दुआ करो कि सलामत रहे इनकी हिम्मत
ये इक चराग़ कई आँधियों पे भारी है।।
भाई @ArvindKejriwal जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/QTf7Qhv3YI— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) August 15, 2020
आम आदमी पार्टी बनने और पहली बार चुनाव में इस पार्टी को 28 सीट मिलना केजरीवाल की इसी छवि की देन थी। इसके बाद तो उन्होेंने दिल्ली की राजनीति में एक से बढ़कर एक कारनामें किए। बड़ी-बड़ी पार्टियों और एक से एक धाकड़ नेता को हरा कर आज वो दिल्ली की सत्ता संभाल रहे हैं। दिल्ली की शिक्षा स्वास्थ्य और बिजली में उनका सुधार सराहनीय माना जाता है।